Tuesday, May 26, 2009

मन से परे बुद्धि और बु्द्धि से परे आत्मा

विनय बिहारी सिंह

इन दिनों नैनो टेक्नालाजी की बात बहुत हो रही है। नैनो टेक्नालाजी वाले कहते हैं कि मनुष्य के एक बाल के हजारवें हिस्से को नैनो कहते हैं। इतनी सूक्ष्म टेक्नालाजी हो गई है। हमारे धर्मग्रंथों में मन, बुद्धि और आत्मा को सूक्ष्म से सूक्ष्मतर कहा गया है। परमहंस योगानंद ने कहा है- यह समूचा ब्रह्मांड ईश्वर के चिंतन मात्र से ही निर्मित हुआ है। गीता में उल्लेख है कि इंद्रियों से परे मन है, मन से परे बुद्धि, बुद्धि से परे आत्मा है। यह आत्मा ही ईश्वर स्वरूप है। वह चिन्मय है और इसका संसार के किसी भी प्रपंच से कोई लेना- देना नहीं है। मन अत्यंत सूक्ष्म है, लेकिन बुद्धि उससे भी ज्यादा सूक्ष्म है। और आत्मा तो उससे भी अधिक सूक्ष्म है। हमारे ऋषियों ने कहा है कि आपका चिंतन जैसा होगा, आप भी वैसे ही हो जाएंगे। अगर आप भय, चिंता और तनाव में लंबे समय तक रहेंगे तो यह आपकी प्रवृत्ति बन जाएगी। तब बिना किसी वजह के भी आप तनाव मे रहने लगेंगे। यानी तनाव में रहना आपका स्वभाव बन जाएगा। इसके ठीक उलट, यदि आप अच्छी बातें सोचेंगे, शुभ बातें सोचते हैं और हमेशा प्रसन्न रहते हैं, डर, चिंता या तनाव कभी कभी ही आपको तंग करते हैं तो आपका जीवन सुखी रहेगा। वे लोग कितने भाग्यशाली हैं जो यह मान कर चलते हैं कि भगवान उनकी रक्षा कर रहे हैं, फिर किस बात की चिंता। बस किसी का बुरा नहीं करना है। बुरा नहीं सोचना है। आप पाएंगे कि ईश्वर का आशीर्वाद आपके ऊपर बरस रहा है।