विनय बिहारी सिंह
मान लीजिए आप सुबह से भारी व्यस्त हैं। दम मारने की फुरसत नहीं है। तब आप कहेंगे कि आखिर पूजा- पाठ या ध्यान वगैरह के लिए समय कहां है? पांच मिनट भी समय मिले तब तो ईश्वर को याद करें? लेकिन इसमें भी हम ईश्वर को याद कर सकते हैं। कैसे? आप यह मान कर चलिए कि जीवन का सारा काम ईश्वर के लिए किया जा रहा है। बस आफिस, फैक्ट्री, स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी या कहीं भी आप काम कर रहे हों, उसे ईश्वर को समर्पित कर दीजिए- हे भगवान, यह काम आपको समर्पित करता हूं। यह काम आपके लिए कर रहा हूं। बस, आपकी चिंतनधारा में ईश्वर आ जाएंगे। फिर चाहे आपको अलग से ध्यान या पूजा का समय न भी मिले, आप ईश्वर से दूर नहीं रहेंगे। कई लोगों की शिकायत रहती है कि क्या करें, भोजन करने की तो फुरसत नहीं मिलती, चैन से बैठें तब तो पूजा- पाठ या ध्यान करें। लेकिन यह उपाय अपनाते ही यह समस्या हल हो जाती है। एक बार यह करके देखिए। आप ईश्वर के संपर्क में आ जाएंगे। परमहंस योगानंद जी ने कहा है- ईश्वर को मां के रूप में पुकारने से वे जल्दी आ जाते हैं। मां को किस रूप में पुकारें? आप चाहे जिस रूप में पसंद करें- काली मां, दुर्गा मां या सरस्वती मां या फिर पार्वती मां। जैसे आप मां को पुकारते हैं ठीक उसी गहराई से, उसी तन्मयता से। इसके लिए जरूरी नहीं कि चिल्लाया ही जाए। मन ही मन जगन्माता का स्मरण बहुत कारगर साबित होता है। एक मिनट का भी खाली समय मिले तो आंख बंद कीजिए और दिल से मन ही मन पुकारिए- मां, कहां हो तुम। मुझे तुम्हारा पद, धन और ख्याति जैसे खिलौना नहीं चाहिए। मुझे तो सिर्फ तुम्हारा दर्शन चाहिए। आओ मां, दर्शन दो। कृपा करो। बस आपका काम बन जाएगा।
1 comment:
..........यद्यत कारयसे कार्यं तत्करोमि त्वदाज्ञया.
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