Tuesday, May 12, 2009

हमारी दो आँखों के बीच कोई ढाई इंच की दूरी



ममता गुप्ता और महबूब ख़ानबीबीसी संवाददाता, लंदन

ज़रा सोचकर देखिए कि अगर हम दोनों आँखों से दो अलग-अलग चीज़ें देखते तो कितनी मुश्किल होती है. ये तो आप जानते ही हैं कि हमारी दो आँखों के बीच कोई ढाई इंच की दूरी है. ये दोनों आँखें, किसी भी वस्तु को ज़रा से अलग कोण से देखती हैं. आज़माइश के लिए एक फूल को अपने सामने रखकर पहले एक आँख से देखिए और फिर दूसरी से. दाहिनी आँख, फूल के दाहिने हिस्से को अधिक देखती है जबकि बाईं आँख फूल के बाएँ हिस्से को. अगर दोनों छवियों को एक के ऊपर एक रखा जाए तो वह धुंधली दिखाई देगी. लेकिन जब हमारे मस्तिष्क में ये अलग-अलग छवियाँ जाती हैं तो वह एक त्रिआयामी छवि तैयार करती हैं. यानी दो आँखों की वजह से हमें वस्तु की गहराई दिखाई देती है. इसलिए दो आँखो से हमें बेहतर दिखाई देता है.
पद्मासन में बैठ कर साधना करने से क्या लाभ होता है. यह सवाल किया है नयाटोला कटिहार बिहार से कुलदीप कुमार साहा ने.
योग साधना का उद्देश्य है ध्यान और आप ध्यान तभी कर पाएंगे जब आप मानसिक और शारीरिक रूप से स्थिरता प्राप्त कर लें. महर्षि पतंजलि ने आसन की परिभाषा देते हुए कहा है स्थिरं सुखम आसनम. अर्थात आसन ऐसा होना चाहिए जिसमें स्थिरता हो और सुख का अनुभव किया जा सके. पद्मासन एक श्रेष्ठ और ध्यानात्मक आसन है. इसमें दोनों पैरों के तलवे को जंघा के ऊपर रखते हैं, रीढ़ को सीधा रखते हैं और दोनों हथेलियों को घुटनों पर रखा जाता है. साधना की दृष्टि से आंखे बंद रखना चाहिए और अपना ध्यान भ्रू मध्य में लगाकर रखना चाहिए. पूर्ण अभ्यास हो जाने पर स्थिरता, शांति और आनन्द का अनुभव होगा और ध्यान केन्द्रित होता चला जाएगा. लेकिन पद्मासन पर विजय पाना कोई एक दिन का खेल नहीं है. साधना की दृष्टि से इसका नियमित अभ्यास करें तो साल भर में सक्षम हो सकते हैं. हां योग गुरु की आज्ञा के बिना कोई भी आसन न करें. पद्मासन से हमारे अतिसूक्ष्म प्राण ऊर्द्धगामी हो जाते हैं यानि प्राण मूलाधार चक्र जो रीढ़ के मूल में है से लेकर हमारे सिर तक प्रवाहित होते हैं और हम ध्यान की उच्चतम अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं. जिन्हें साइटिका या कमर दर्द है तो इसका अभ्यास न करें और अगर घुटने कमज़ोर हैं या जोड़ों में दर्द रहता है तो दूसरे योगाभ्यास करके उन्हे पहले सक्षम बना लें. (बीबीसी से साभार)