Tuesday, May 19, 2009

रोमांचक अमरनाथ यात्रा


बर्फीले रास्तों, ऊंची पहाड़ियों, दुर्गम रास्तों से होकर हिंदुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल अमरनाथ की यात्रा देश में सबसे कठिन यात्राओं में से एक है। जम्मू-कश्मीर में स्थित पवित्र बाबा बर्फानी (शिव जी) की गुफा दुर्गम रास्तों और प्राकृतिक कठिनाईंयों के साथ ही आतंकी खतरे के कारण भी थोड़ी मुश्किल मानी जाती है।
अमरनाथ तीर्थ 5000 साल से भी पुराना है और हिंदू संस्कृति में काफी महत्व रखता है। इस यात्रा का मुख्य केंद्र पवित्र गुफा है जहां बर्फ के शिवलिंग को यात्रा का केंद्र माना जाता है। गर्मियों के मौसम में मई से अगस्त के बीच होने वाली इस यात्रा का समापन श्रावणी पूर्णिमा को रक्षाबंधन के दिन होता है।
यह गुफा वही जगह है जहां शिव ने पार्वती को जिंदगी के गूढ़ रहस्य समझाए थे। पवित्र गुफा में खुद बननेवाले शिवलिंग के साथ ही दो और बर्फ की ऑकृतियां बनती है जो पार्वती और गणपति का प्रतीक मानी जाती हैं। हर साल होनेवाली इस यात्रा के लिए केंद्रीय पुलिस बल, सेना और अन्य बल सुरक्षा मुहैया करवाते हैं। इस धार्मिक यात्रा के प्रारंभ करने से पहले गृहमंत्रालय से विशेष अनुमति लेनी होती है।
बाबा अमरनाथ गुफा तक की चढ़ाई 14500 फीट की है जो काफी रोमांचक है।
पवित्र गुफा 3888 मीटर की उंचाई पर स्थित है, जिसका रास्ता श्रीनगर से 145 किलोमीटर है।
दर्शन का समय - जून से अगस्त
अमरनाथ यात्रा का संपूर्ण मार्ग सितंबर से जून तक बर्फ से ढंका रहता है और गुफा केवल जून से अगस्त के बीच खुलती है। यह बारिश का मौसम होता है इसलिए तीर्थयात्रियों को बारिश का मुकाबला भी करना होता है। यात्रा पैदल या फिर खच्चर और पालकी पर बैठाकर भी पूरी की जा सकती है। हर साल हजारों लोग इस यात्रा पर आते हैं। श्रीनगर में छड़ी मुबारक के साथ इस यात्रा की अगुवाई होती है।
कैसे जाएं
हवाई मार्ग से श्रीनगर नजदीकी एयरपोर्ट है, श्रीनगर से देश के सभी प्रमुख शहरों के लिए फ्लाइट मिलती हैं। श्रीनगर से अमरनाथ गुफा तक हेलिकॉप्टर द्वारा जाया जा सकता है। पैदल यात्रा करनेवाले तीर्थयात्रियों के लिए बस या फिर निजी वाहन से पहलगाम या बालटाल तक पहुंचा जा सकता है।
पहलगाम और बालटाल से पैदल यात्रा मार्ग शुरू होता है, यहीं से घोड़े खच्चर या पालकी द्वारा जाया जा सकता है। रेल मार्ग से नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू है, जहां से आगे का रास्ता बस या निजी वाहन से तय किया जा सकता है।
(यह लेख मेरे सहकर्मी प्रमोद कुमार ने मेरे e- मेल par पोस्ट किया है)