Thursday, November 8, 2012

श्रद्धा और विश्वास




गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है-

ये तु धर्म्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते।
श्रद्धधाना मत्परमा भक्तास्तेअतीव में प्रियाः।। (१२वें अध्याय का २०वां श्लोक)।

 गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है-

बिनु बिस्वास भगति नहिं तेहि बिनु द्रवहिं न राम।
राम कृपा बिनु सपनेहुं जीव न लह बिश्रामु।।

यानी बिना श्रद्धा और विश्वास के ईश्वर का अनुभव असंभव है।

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