Monday, November 5, 2012

माया महाठगिनी हम जानी


कबीर दास

माया महाठगिनि हम जानी।
निरगुन फांस लिए कर डोले बोलै मधुरी बानी।।
केशव के कमला ह्वै बैठी शिव के भवन भवानी।।
पंडा के मूरति ह्वै बैठी तीरथ में भई पानी।।
जोगी के जोगिन ह्वै बैठी राजा के घर रानी।।
काहू घर हीरा ह्वै बैठी काहू की कानी कौड़ी।।
भगतन के भगतिन ह्वै बैठी ब्रह्मा के ब्रह्मानी।।
कहत कबीर सुनो हो संतों यह सब अकथ कहानी।।

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