Wednesday, August 8, 2012

रैदास के पद


प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी।जग-जीवन राम मुरारी॥ गली-गली को जल बहि आयो, सुरसरि जाय समायो। संगति के परताप महातम, नाम गंगोदक पायो॥ स्वाति बूँद बरसे फनि ऊपर, सोई विष होइ जाई। ओही बूँद कै मोती निपजै, संगति की अधिकाई॥ तुम चंदन हम रेंड बापुरे, निकट तुम्हारे आसा। संगति के परताप महातम, आवै बास सुबासा॥ जाति भी ओछी, करम भी ओछा, ओछा कसब हमारा। नीचे से प्रभु ऊँच कियो है, कहि 'रैदास चमारा॥

2 comments:

vandana gupta said...

बहुत शिक्षाप्रद पद हैं।

Unknown said...

बहुत बहुत शुक्रिया वंदना जी