Wednesday, August 1, 2012

कबीर के पद


रहना नहीं देस बिराना है। यह संसार कागद की पुडि़या, बूँद पड़े घुल जाना है। यह संसार कॉंट की बाड़ी, उलझ-पुलझ मरि जाना है। यह संसार झाड़ और झॉंखर, आग लगे बरि जाना है। कहत कबीर सुनो भाई साधो, सतगुरू नाम ठिकाना है।

1 comment:

ANULATA RAJ NAIR said...

सुन्दर....

सादर
अनु