Tuesday, August 21, 2012

स्प्रे से होगा घायल दिल का इलाज



हृदयाघात
स्प्रे के जरिए दिल की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत हो सकेगी
दिल के इलाज का अब एक सबसे नया तरीका ढूंढ़ा गया है, जिसमें स्प्रे मशीन के जरिए दिल की स्वस्थ कोशिकाओं को उन कोशिकाओं तक पहुंचाया जाएगा जो हृदयाघात के दौरान नष्ट हो गईं हों.
इस स्प्रे के ज़रिए क्षतिग्रस्त हिस्से पर कोशिकाओं की एक परत बन जाएगी और शोधकर्ताओं का अनुमान है कि ये विधि दिल के प्रभावित हिस्से की मरम्मत करने में मददगार साबित होगी.
यदि यह सफल हो जाता है तो निश्चय ही बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि तब हृदयाघात से संभावित मौतों को रोकने में काफी हद तक सफलता मिल सकती है.
दरअसल, जब दिल की कोई भी कोशिका नष्ट होती है तो इसकी जगह एक कठोर निशान बन जाता है और ये ऐसा मालूम पड़ता है जैसे पैर पर चोट लगने के बाद निशान पड़ जाता है.
इससे रक्त को पंप करने में दिल को काफी संघर्ष करना पड़ता है.

शोध

"उम्मीद की जाती है कि हम ये कह सकेंगे कि मानवनिर्मित ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त दिल के काम को आसान कर देंगी."
एनास्तासिस स्टेफनाउ, शोधकर्ता
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के शोधकर्ता इसका निदान ढूंढ़ने में लगे हैं. उनकी कोशिश है कि दिल की कोशिकाओं की पतली पट्टी को इस जगह लगा सकें ताकि ये उन कोशिकाओं में जाकर मिल जांए.
लंदन की एक प्रयोगशाला में एक मेकेनिकल इंजीनियर डॉक्टर सुआन जयसिंघे ने बायो-इलेक्ट्रिक स्प्रेयर की प्रणाली को विकसित किया है.
इसमें सबसे पहले एक सिरींज में दिल की कोशिकाओं को भरा जाता है. उसके बाद ये सिरींज में भरी कोशिकाएं एक सुई के जरिए दिल तक तेजी से पहुंचाई जाती हैं.
सुई के जरिए पहुंचने वाला दस हजार वोल्ट की बिजली से चुंबकीय क्षेत्र पैदा होता है जो कि कोशिकाओं को नियंत्रण में रखता है.
उन्होंने बताया, “खूबसूरत चीज ये है इसमें हम कई और तरह की कोशिकाओं को भी शामिल कर सकते हैं.”
इस पूरी प्रक्रिया को सूक्ष्मदर्शी उपकरणों के जरिए देखा जा सकता है. इसका अगला चरण ये देखना है कि पहुंचाई गई कोशिकाएं क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को ठीक करने में सक्षम हैं या नहीं.
शोधकर्ता डॉक्टर एनास्तासिस स्टेफेनाउ कहते हैं, “उम्मीद की जाती है कि हम ये कह सकेंगे कि मानवनिर्मित ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त दिल के काम को आसान कर देंगी.”
वो आगे कहते हैं, “लंबे समय के लिए हम ये उम्मीद कर रहे हैं कि इस तकनीक के जरिए हम पूरे क्षतिग्रस्त दिल को ठीक कर सकेंगे ताकि मरीज को किसी अन्य व्यक्ति के दिल का इंतजार न करना पडे़.”
उनका कहना है कि इस तकनीक के जरिए सिर्फ इंग्लैंड में ही हृदयाघात से पीड़ित करीब साढ़े सात लाख से ज्यादा लोगों को राहत मिल सकती है.

2 comments:

digvijay said...

aap ka phir se blog dunia me swagat hai.. ab aapki ungali kaisi hai?? ab aap khud type kar paa rahe hai ya kisi ki help leni pad rahi hai.

digvijay said...

namaskaar,

ab aapki ungali kaisi hai.. aapko blog likhte dekh badi khushi ho rahi hai.. abhi aap khud hi type kar paa rahe hai ya kisi ki madad leni pad rahi hai?? plz take care of yourself