Friday, March 4, 2011

एक बड़े डाक्टर की आत्मस्वीकृति



विनय बिहारी सिंह

आज देश के जाने- माने अस्पताल अपोलो (कोलकाता) के एक बड़े डाक्टर एसके दास से बातचीत हुई। उन्होंने कहा- भविष्य के बारे में कुछ भी ठीक नहीं है। मेरे एक मित्र डाक्टर पूरी तरह स्वस्थ थे। उनकी पत्नी भी डाक्टर हैं। मेरे मित्र अपना चेक अप हर १५ दिन पर कराते रहते थे, जबकि वे पूरी तरह स्वस्थ थे। उन्हें न सुगर की बीमारी थी और न ही ब्लड प्रेसर। पूरी तरह स्वस्थ थे। अपनी पत्नी के साथ एयरपोर्ट जा रहे थे। अचानक उनकी मृत्यु हो गई। बताइए, अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने वाला एकदम स्वस्थ डाक्टर इस दुनिया से अचानक चला गया। जिसे इस दुनिया से जाना है, उसे कोई रोक नहीं सकता। मुझे ऋषियों की याद आई। ऋषि तुल्य तुलसीदास ने रामचरितमानस में कहा है- हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश विधि हाथ। चाहे जन्म हो या मृत्यु, हानि हो या लाभ, यश हो या अपयश, सब कुछ ईश्वर के हाथ में है।
वैसे तो मैं यह बात मानता ही था, लेकिन एक प्रतिष्ठित अस्पताल के प्रतिष्ठित डाक्टर के मुंह से यह बात सुन कर लगा कि व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र का विशेषग्य हो, ईश्वर की लीला से इंकार नहीं कर सकता। मनुष्य के जीवन में प्रति दिन ऐसी घटनाएं घटती हैं जिससे बार- बार यह साबित हो जाता है कि ईश्वर सर्वव्यापी, सर्वग्याता और सर्वशक्तिमान हैं। ऋषियों की यह उक्ति कि भगवान इस सृष्टि के कण- कण में हैं, कितनी गहरी और स्पष्ट है। उन्होंने मनुष्य के हित में यह बात कही है। ईश्वर सर्वव्यापी हैं, हर जगह हैं, लेकिन जिनकी आंखों पर भ्रम की पट्टी या कहें मायाजाल की पट्टी बंधी हुई है, वे इसे महसूस नहीं कर पाते। यह पट्टी हम सबने खुद बांध ली है। जिस दिन हम यह पट्टी खोल लेंगे। हमारा जीवन बदल जाएगा। पट्टी खुलेगी कैसे? जप और प्रार्थना से, ध्यान- धारणा से, ईश्वर के प्रति समर्पण से और निरंतर गहरी होती भक्ति से।

1 comment:

vandana gupta said...

्हरि इच्छा भावी बलवाना