Thursday, March 10, 2011

जापर कृपा राम के होई



विनय बिहारी सिंह

ऋषियों ने कहा है कि जिन पर भगवान की कृपा होती है, वे सदा के लिए अनंत आनंद में रहते हैं। भगवान की कृपा कब होती है? ऋषि कहते हैं- जब उनके सामने समर्पण कर दिया जाता है। जिसने समर्पण किया है वह यह नहीं मानता कि अच्छे काम वह स्वयं कर रहा है। वह मानता है कि भगवान ही कर रहे हैं और मुझे माध्यम बना रहे हैं। यह अहंकार मुक्त अवस्था है। हममें से कितने लोग ऐसा सोच पाते हैं? जापर कृपा राम के होई..... जिस पर राम की कृपा हो गई, उसके साथ सभी सहयोग करने को तैयार रहते हैं। समूचे ब्रह्मांड की शक्तियां उसकी मदद करती हैं। वह तो खुद को भगवान के चरणों में सौंप चुका होता है। उसे किस बात की चिंता। सारे धर्मों के संत महात्माओं ने बार- बार कहा है- हमारे ही नहीं, इस समूची सृष्टि के मालिक भगवान ही हैं। उन्हें प्रेम करने से हमारी तृप्ति हो जाएगी। अन्यथा सुख की खोज में हम दर- दर भटकते रहेंगे, दुख ही दुख मिलेगा, धोखा ही धोखा मिलेगा। सुख तो केवल एक ही स्थान पर मिलता है। वह स्थान है भगवान के चरण। यानी भगवान को सरेंडर। सरेंडर करते ही, वे हमें अपने हृदय से लगा लेंगे। वे कहते हैं- हम भक्तन के, भक्त हमारे।।

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