विनय बिहारी सिंह
भगवान शिव सभी बुरी शक्तियों को नष्ट करने वाले हैं। वे ही हमारे रक्षक हैं। अपने भक्त की अशुद्धियों को जला कर राख कर निर्मल कर देते हैं भगवान शिव। कहा जाता है कि वे संहार के देवता हैं। किसका संहार? हमारे भीतर की बुरी प्रवृत्तियों का, हमारे ऊपर हमला करने वाली व्याधियों का, हमारे मन को अशुद्ध करने वाले विचारों का संहार करते हैं वे। क्योंकि अगर वे मनुष्य का संहार करते तो फिर समुद्र मंथन से निकले विष का पान नहीं करते। उन्होंने जीवों की रक्षा के लिए ही विष पीना स्वीकार किया। इसीलिए वे नीलकंठ कहलाए। भगवान शिव के भक्त उन्हें सदा अपने हृदय में रखते हैं। सिर्फ जल चढ़ा दीजिए, बस उसी पर वे खुश हो जाते हैं। ज्योंही भक्त शिव जी का स्मरण करता है, उन्हें पता चल जाता है। वे तो इस सृष्टि के कण- कण में हैं। पर उन्हें ही दिखते और महसूस होते हैं जो उन्हें हृदय से प्रेम करते हैं। अन्यथा वे अदृश्य और अग्राह्य हैं।
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