Friday, November 12, 2010

हे भगवान, हे भगवान

विनय बिहारी सिंह


यह भजन मुग्धकारी है। भजन की पंक्तियां हैं- हे भगवान, हे भगवान। इसे ही देर तक गाया जाता है, साथ में होता है हारमोनियम। गाने वाले संत भक्ति से ओतप्रोत हो जाते हैं। उनका साथ देने वाले भक्त भी उसी रस में डूब जाते हैं। मेरा अपना अनुभव है कि यह भजन दिल में गहरे उतर जाता है और भजन बंद होने के बाद भी दिलो- दिमाग में बजता रहता है। एक और भजन है अंग्रेजी में। इसे परम पूज्य परमहंस योगानंद जी ने लिखा है। इसकी पंक्तियां हैं- लाइफ इज स्वीट, डेथ अ ड्रीम, व्हेन दाई सांग फ्लोज थ्रू मी। चार मुखड़ों वाला यह भजन रस विभोर कर देता है। एक बार मैंने इसी भजन को सुनने और इसमें अपना स्वर मिलाने के लिए एक बस छोड़ दी। अगली बस से घर गया। इसे स्वामी शुद्धानंद जी जब गाते हैं तो बात ही कुछ और होती है। योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया के स्वामी शुद्धानंद जी सिद्ध संत हैं। उनके मुंह से यह भजन ईश्वरीय स्पंदन से ओतप्रोत हो जाता है। कुछ लोगों की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। इस भजन का हाल ही में हिंदी अनुवाद हुआ है- जीवन है मधुर, मृत्यु सपना। जब मुझमें बहे, तव संगीत। लगे आनंद मधुर, दुख सपना, जब मुझमें बहे, तव संगीत।
ईश्वर को संबोधित यह गीत गहरे उतरता जाता है।
( मित्रों आठ दिनों के लिए मैं रांची के एक आध्यात्मिक अनुष्ठान में जा रहा हूं। वहां ईश्वरीय आनंद की हाट लगी हुई है। वहां से लौटने के बाद आपसे मुलाकात होगी।)

1 comment:

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भाव है भजन के।