Saturday, November 6, 2010

रात भर हुई कालीपूजा

विनय बिहारी सिंह

मैं कोलकाता के जिस कांप्लेक्स में रहता हूं वहां रात भर कालीपूजा चलती रही। यहां पूजा के समय ढाक बजता है। ढाक ड्रम का ही एक रूप है लेकिन उसे पश्चिम बंगाल में पूजा के अवसर पर एक खास लय- ताल में बजाया जाता है। ढाक काफी तेज बज रहा था और इस तरह मैं रात को सो नहीं पाया। तो लगा कि भगवान ने यह स्थिति शायद मेरे लाभ के लिए ही बनाई है। मैंने परमहंस योगानंद जी की गीता की व्याख्या- गॉड टाक्स विद अर्जुन को चाव से पढ़ा। हालांकि यह पुस्तक मैंने क बार पढ़ी है। लेकिन जितनी बार पढ़ता हूं, नए अर्थ खुलते जाते हैं । इसी तरह परमहंस जी की पुस्तक योगी कथामृत भी है। हाल ही में उनकी एक पुस्तक मैन्स इटरनल क्वेस्ट का हिंदी अनुवाद मानव की निरंतर खोज नाम से आई है। जिसे योगदा सत्संग सोसाइटी ने प्रकाशित किया है। ईश्वर, ध्यान और अध्यात्म के बारे में मनुष्य के मन में कई सारे सवाल उठते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर परमहंस योगानंद जी ने स्पष्ट ढंग से दिया है। । पता है- , योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया, परमहंस योगानंद पथ, रांची- ८३४००१। परमहंस योगानंद जी ने अमेरिका और यूरोपीय देशों में क्रिया योग का प्रसार प्रसार किया और यह सिद्ध किया कि योग एक वैग्यानिक पद्धति है। उन्होंने १९१७ में भारत में योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया और विदेशों में सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप की स्थापना की।उन्होंने बताया कि ईश्वर कल्पना की वस्तु नहीं हैं। उनसे संपर्क किया जा सकता है। इसके लिए दृढ़ विश्वास और अत्यंत गहरी आस्था तो होनी ही चाहिए कुछ वैग्यानिक प्रविधियों का अभ्यास भी जरूरी है। इन प्रविधियों की जानकारी यह संस्था देती है।

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