Tuesday, November 2, 2010

काल को नियंत्रित करने वाली महाशक्ति

विनय बिहारी सिंह

पश्चिम बंगाल में दीपावली के दिन कालीपूजा होती है। इसीलिए यहां दीपावली को कालीपूजा कहा जाता है। मां काली यानी काल को नियंत्रित करने वाली महाशक्ति। जो काल को नियंत्रित करे, वह काली। मां काली भगवान शिव की पत्नी कही जाती हैं। यानी पार्वती जी का ही एक रूप। लेकिन कई विद्वान कहते हैं कि काली यानी अंधकार को दूर करने वाली। कैसे? मां काली का रंग काला होता है लेकिन इस कालेपन से नीला रंग झांकता रहता है। जब हम आंखें बंद करते हैं तो अंधकार दिखता है। लेकिन इस अंधकार के पीछे ईश्वर का प्रकाश छुपा है। ठीक इसी तरह अमावस्या को घुप्प अंधरी रात होती है। मां काली प्रकाश हैं। अब आप प्रश्न पूछ सकते हैं कि जब मां काली काले रंग की हैं तो वे प्रकाश कैसे हुईं? तो इसका उत्तर है- सभी चित्रों में मां काली की लाल जीभ बाहर निकली होती है। मूर्तियां भी इसी तरह गढ़ी जाती हैं। सभी मंदिरों में मां काली की जीभ बाहर निकली हुई प्रतिमा ही पूजी जाती है। वह जीभ है प्रकाश। यानी अंधेरे से डरें नहीं, वहां मां काली हैं। ऐसा कुछ विद्वानों का मत है। लेकिन आमतौर पर जो धारणा है, उसके अनुसार मां काली काल पर विजय करने वाली हैं। इसलिए उन्हें काली कहा जाता है। उनका रंग काला नहीं है। परमहंस योगानंद जी ने लिखा भी है-

कौन कहता तू है काली हे मां जगदंबे।
लाखों रवि, चंद्र तेरी काया से हैं चमकते।।

इस दीपावली पर मां काली की अराधना करने वाले लोग आधी रात तक पूजा करते हैं। फिर प्रसाद वितरण होता है। लेकिन ऐसे भी भक्त हैं जो पूरी रात ध्यान, जप और पाठ करते हैं। वे भोर में प्रसाद वितरण करते हैं। रात भर वही जाग सकता है जो मां काली से अनन्य प्रेम करता हो। उनके दोनों बाएं हाथों में तलवार और नरमुंड है। और दोनों दाएं हाथों में एक आशीर्वाद के लिए उठा हुआ है तो दूसरा अभय का वरदान दे रहा है। मां काली भगवान शिव की छापी पर पैर रख कर जीभ बाहर निकाल कर अपनी गलती महसूस कर रही हैं। दरअसल यह उनकी लीला है। भगवान शिव अनंतता के प्रतीक हैं। इनफिनिटी के प्रतीक। मां काली बता रही हैं कि भगवान शिव अनंत हैं। उन पर पैर रखना यानी भारी गलती। वे पूज्य हैं। अनंत भगवान का सम्मान करना चाहिए। पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी आत्मा अनंत का अंश है।

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