हमारा शरीर तो दिखाई देता है। लेकिन आत्मा नहीं। आत्मा दिखाई नहीं दे सकती। भगवत् गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि इंद्रियों से सूक्ष्म मन है, मन से सूक्ष्म बुद्धि है और बुद्धि से भी सूक्ष्म आत्मा है। यानी आत्मा सूक्ष्मतम है। क्योंकि आत्मा ईश्वर का अंश है। मनुष्य ज्यादातर इंद्रियों, मन और बुद्धि के चक्कर में ही पड़ा रहता है। इसलिए वह आत्मा को नहीं जान पाता। संत कहते हैं कि आत्मा का आनंद या आत्मानंद अवर्णनीय है। आत्म साक्षात्कार करने से ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है। यह कैसे संभव है? जब इंद्रियों, मन और बुद्धि को स्थिर रख कर ईश्वर में लय किया जाए। यह गहन ध्यान से संभव है। संत कहते हैं- धार्मिक ग्रंथ कहते हैं- गहन ध्यान मे ईश्वर से संपर्क ही मनुष्य जीवन का उद्देश्य है। वे पुकार रहे हैं- आओ, आओ, लेकिन हम गहन ध्यान में उतर कर उनसे संपर्क नहीं करना चाहते। यदि जीते जी ध्यान के जरिए ईश्वर से संपर्क नहीं हो पाया तो मृत्यु के बाद तो और नहीं होगा। इंद्रियों, मन और बुद्धि पर नियंत्रण ही तो असली उद्देश्य है मनुष्य जीवन का।
Monday, October 1, 2012
अदृश्य आत्मा
हमारा शरीर तो दिखाई देता है। लेकिन आत्मा नहीं। आत्मा दिखाई नहीं दे सकती। भगवत् गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि इंद्रियों से सूक्ष्म मन है, मन से सूक्ष्म बुद्धि है और बुद्धि से भी सूक्ष्म आत्मा है। यानी आत्मा सूक्ष्मतम है। क्योंकि आत्मा ईश्वर का अंश है। मनुष्य ज्यादातर इंद्रियों, मन और बुद्धि के चक्कर में ही पड़ा रहता है। इसलिए वह आत्मा को नहीं जान पाता। संत कहते हैं कि आत्मा का आनंद या आत्मानंद अवर्णनीय है। आत्म साक्षात्कार करने से ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है। यह कैसे संभव है? जब इंद्रियों, मन और बुद्धि को स्थिर रख कर ईश्वर में लय किया जाए। यह गहन ध्यान से संभव है। संत कहते हैं- धार्मिक ग्रंथ कहते हैं- गहन ध्यान मे ईश्वर से संपर्क ही मनुष्य जीवन का उद्देश्य है। वे पुकार रहे हैं- आओ, आओ, लेकिन हम गहन ध्यान में उतर कर उनसे संपर्क नहीं करना चाहते। यदि जीते जी ध्यान के जरिए ईश्वर से संपर्क नहीं हो पाया तो मृत्यु के बाद तो और नहीं होगा। इंद्रियों, मन और बुद्धि पर नियंत्रण ही तो असली उद्देश्य है मनुष्य जीवन का।
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1 comment:
sahi kaha...
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