इस दुनिया या संसार के बारे में समय समय पर विभिन्न साधु- संतों ने अपने विचार प्रकट किए हैं। शायर नजीर ने दुनिया के बारे में जो कुछ लिखा है, उसे आप भी पढ़ना चाहेंगे। नजीर की यह रचना मैंने बार- बार पढ़ी और अच्छा लगा। आप भी पढ़ें-
है बहारे बाग दुनिया चंद रोज।
देख लो इसका तमाशा चंद रोज।।
ऐ मुसाफिर कूच का सामान कर।
इस जहां में है बसेरा चंद रोज।।
फिर कहां तुम और मैं ऐ दोस्तों।
साथ है मेरा तुम्हारा चंद रोज।।
क्या सताते हो दिले बेजुर्म को।
जालिमों है यह जमाना चंद रोज।।
याद कर तू ऐ `नजीर' कब्रों के रोज।
जिंदगी का है भरोसा चंद रोज।।
कैसी लगी नजीर की यह रचना?
1 comment:
बहुत अच्छी ..
महान पुरूषों की रचनाएं कालजयी होती है.
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