Monday, October 29, 2012

लक्ष्मी पूजा



आज लक्ष्मी पूजा है। लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की पत्नी मानी जाती हैं। वे सदा उनके चरण पर हाथ रखे सेवा भाव में चित्रित की जाती हैं। दरअसल यह प्रतीक है। कहने की जरूरत नहीं कि लक्ष्मी जी धन की देवी हैं। भगवान विष्णु पुरुषार्थ के प्रतीक हैं। तो अर्थ यह हुआ कि यदि मनुष्य पुरुषार्थ करेगा तो लक्ष्मी आएंगी। अन्यथा नहीं। मां लक्ष्मी के बारे में बचपन में हम लोग एक कहावत सुनते थे। कहावत थी- लक्ष्मी जी चंचला हैं। यदि उन्हें संभाल कर नहीं रखा जाए तो वे दूसरे के पास चली जाती हैं। जब समझने लायक हुए तो इसका अर्थ जाना। कहावत सावधान करती है कि लक्ष्मी यानी धन के साथ लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। सावधान हो कर खर्च करना चाहिए। लेन- देन में अत्यंत सावधान रहना चाहिए। वरना संबंध खराब हो सकते हैं और आपकी पूंजी भी डूब सकती है। किसके साथ पार्टनरशिप करें और किसके साथ नहीं यह भी जांच लेना आवश्यक है। फिर पार्टनरशिप करें भी कि नहीं। क्या अकेले व्यवसाय करें। यह सब समझ बूझ कर ही आगे बढ़ना उचित है। तो प्रतीक हमें बहुत कुछ बताते हैं। आज के दिन ज्यादातर हिंदू परिवारों में लक्ष्मी पूजा होती है। मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा के बाद उन्हें भोग चढ़ाया जाता है। आज के दिन अनेक स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। जिसकी जैसी सामर्थ्य है, अपने घर में वैसा पकवान बनाता है। तरह- तरह की मिठाइयां, फल और विभिन्न तरह की खीर का विशेष प्रचलन है। कुछ घरों में लक्ष्मी जी की मूर्ति ला कर उसका पूजन किया जाता है। इसके लिए किसी पंडित जी से पहले से ही समय तय कर लिया जाता है। पूजा  के बाद ही घर के लोग भोजन करते हैं।

1 comment:

संगीता पुरी said...

शरदपूर्णिमा की शुभकामनाएं ..