विनय बिहारी सिंह
परमहंस योगानंद जी ने कहा है कि आकर्षण का नियम ताकतवर ढंग से काम करता है। परमहंस जी की इस बात को हम अपने दैनिक जीवन में भी देख सकते हैं। यदि किसी अनजान व्यक्ति को भी ध्यान से कुछ देर देखते रहिए तो वह व्यक्ति भी आपको देखने लगता है। ठीक इसी तरह यदि आप किसी के बारे में दिन- रात सोचते रहिए तो उसका आकर्षण आपके प्रति भी होगा। यह नियम भगवान के साथ और आनंददायक रूप में काम करता है। यदि हम भगवान के बारे में गहरी श्रद्धा से सोचेंगे तो उनका प्रेम कुछ ज्यादा बढ़ जाएगा। उनके किसी भी रूप के बारे में सोचें, पढ़ें और चिंतन करें तो हम उनका विशेष ध्यान खींचते हैं। कई भक्त तो यह कहते हैं कि चाहे भगवान मुझे सोने के महल में ही क्यों न रखें और चाहे जितनी भी सुख- सुविधाएं ही क्यों न दे दें, जब तक भगवान का साथ नहीं मिलेगा, आनंद नहीं मिलेगा। सारी सुख- सुविधाएं बोझ जैसी लगेंगी। भगवान का साथ मिले तो फिर बात ही क्या है। आप को कोई दुख नहीं सताएगा, कोई कष्ट नहीं सताएगा, कोई अभाव नहीं महसूस होगा। क्योंकि तब स्वयं भगवान आपके हृदय में मजबूती के साथ बैठे होते हैं। भगवान ने गीता में कहा है- श्रद्धावान लभते ज्ञानम। जिनके भीतर गहरी श्रद्धा है, वे भगवान को अवश्य पाते हैं। यह नियम है। स्वयं भगवान ने गीता में प्रतिज्ञा की है- मैं भक्तों का योग- क्षेम स्वयं वहन करता हूं। इतने आश्वासन के बाद भी अगर हम भगवान को प्रेम न करें तो हमारा ही दोष होगा।
No comments:
Post a Comment