Friday, December 25, 2009

प्रेम और करुणा के अवतार जीसस क्राइस्ट



विनय बिहारी सिंह


आज क्रिसमस है। जीसस क्राइस्ट का जन्म दिन। जिस तरह भगवान कृष्ण प्रेम और करुणा के अवतार हैं, ठीक उसी तरह जीसस क्राइस्ट भी हैं। जहां भी उन्होंने पीड़ित और दुखी लोगों को देखा, उनकी मदद की। रोगियों को स्वस्थ किया, विकलांगों को सुंदर शरीर दिया और ईश्वर को चाहने वालों को अपने साथ ले लिया। उन्होंने कहा- सीक दि किंगडम आफ गाड, दि रेस्ट थिंग्स विल बी एडेड अन टू यू। यानी ईश्वर को चाहो, बाकी चीजें तुम्हारे पास अपने आप चली आएंगी। उनकी करुणा का सबसे बड़ा उदाहरण तो यही है कि जो लोग उन्हें सूली पर चढा रहे थे उनके लिए उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की- गाड, फारगीव देम, फार दे नो नाट, ह्वाट दे डू। ( हे भगवान, इन्हें माफ कर दो, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।) जीसस ने जिस समय येरूशलम के नजारेथ में जन्म लिया, वहां रोमन साम्राज्य के शासकों का राज्य था। लोग दमन के शिकार थे। जब स्थानीय राजा हेरोड ने सुना कि जीसस नाम का बच्चा छोटी उम्र से ही ईश्वर की बातें करता है और उसकी बातें उनके पोंगापंथ से बिल्कुल अलग हैं तो वह सतर्क हो गया। उसने जीसस की हत्या कर देनी चाही। इस बात का पता चलते ही जीसस के मां- बाप उन्हें लेकर मिस्र भाग गए। वहां छुप कर उन्होंने बच्चे जीसस को पाला। फिर थोड़े बड़े हुए तो वे वापस इस्राइल में अपने घर आए।


ठीक यही तो भगवान कृष्ण के साथ हुआ था। जब उनके मामा कंस को पता चला कि देवकी के गर्भ से पैदा हुआ बच्चा उसका हत्यारा बनेगा तो उसने अपनी बहन को जेल में बंद कर दिया और उसके सारे बच्चों की हत्या करने लगा। लेकिन जब भगवान कृष्ण पैदा हुए तो जेल के सारे पहरेदार सो गए और जेल का फाटक अपने आप खुल गया। ताला ही नहीं खुला सारे दरवाजे खुल गए। तब वासुदेव नन्हें कृष्ण को चुपके से टोकरी में लेकर यमुना पार किया। उस समय घनघोर अंधेरी रात थी और यमुना में बाढ़ आई हुई थी। लेकिन वासुदेव ने पैदल ही नदी पार किया। एक बार तो यमुना कृष्ण का पैर छूने के लिए उछालें मारने लगी। यह बात वासुदेव की समझ में आ गई। उन्होंने कृष्ण का पैर यमुना को छुआ दिया। बस क्या था। यमुना का जल बिल्कुल घुटने भर का हो गया और वासुदेव आराम से नदी पार कर गए। दूसरी तरफ गोकुल था। वहां यशोदा को पुत्री पैदा हुई थी। कृष्ण को यशोदा की गोद में लिटा कर वासुदेव उस कन्या को अपने साथ ले आए। ज्योंही वे जेल में अपनी कोठरी में घुसे, फिर अपने आप ताला लग गया और बच्ची रोने लगी। कंस खबर पा कर दौड़ा आया। उसने बच्ची को उठा कर पटकने के लिए ज्योंही उठाया, बच्ची हवा में उड़ गई और आकाश में जाकर बोली- मूर्ख तेरा वध करने वाला पैदा हो चुका है। तुम उसे नहीं मार सकते। मान्यता है कि यह कन्या आदि शक्ति थीं।


जीसस क्राइस्ट और भगवान कृष्ण के जीवन में कहीं- कहीं साम्य है। पश्चिमी देशों में जीसस क्राइस्ट प्रेम के सर्वोत्तम प्रतीक हैं। असीसी के सेंट फ्रांसिस ने क्राइस्ट का दर्शन किया था। अन्य संतों ने भी किया था। स्वयं परमहंस योगानंद जी ने उनके दर्शन किए थे। आइए हम कामना करें कि जीसस हमें आशीर्वाद दें ताकि हम सभी आपस में प्रेम और करुणा के साथ रह सकें। हमारे मन में ईश्वर के प्रति प्रेम निरंतर बढ़ता जाए और जैसे ईश्वर अनंत हैं उसी तरह हमारा प्रेम भी अनंत हो।

1 comment:

negi said...

प्रेम और करुणा के अवतार जीसस क्राइस्ट Hame AAsirwad den