Thursday, April 23, 2009

कोई मधुर संगीत, कोई सुंदर दृश्य


विनय बिहारी सिंह
आप एक खूबसूरत फूल देखते हैं और आपको बहुत अच्छा लगता है। आप कोई अच्छा सा प्राकृतिक दृश्य देखते हैं, और वह आपके दिल को भा जाता है। आप कोई मधुर संगीत सुनते हैं और वह आपके दिल में उतर जाता है। आप कोई सुंदर सी चिड़िया देखते हैं और वह आपको अच्छी लगती है। कोयल की कूक आपको कई सुंदर चीजों की याद दिला देती है। यह सब क्या ईश्वर की याद नहीं दिलाते? क्या मोहक चीजें ईश्वर की याद नहीं दिलातीं? यह भी कितना दिलचस्प है कि ईश्वर अदृश्य रह कर भी हमेशा हमारे भीतर और बाहर रहता है। जरा सा तमाम चिंताओं और परेशानियों से मुक्त हो कर शांति में ईश्वर की प्रार्थना हमें कितना सुकून देती है। कई लोग तो दिन शुरू होते ही सबसे पहले ईश्वर की प्रार्थना या पूजा- पाठ या ध्यान करते हैं औऱ दिन भर तरोताजा रहते हैं। हमारी एकाग्रचित्त पुकार सुन कर ईश्वर भी हमारे साथ बातचीत करते हैं, लेकिन हमारा दिमाग इतना चंचल होता है कि हम उस परमपिता की आवाज सुन नहीं पाते। एक संत ने कहा है- हे ईश्वर, तुम मुझे जैसे चाहो रखो, लेकिन अपना प्यार देते रहो। बस उसी में आनंद है। तुम मुझे कहां रखते हो, कैसे रखते हो, इससे कोई मतलब नहीं मुझे। बस मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए। उसी में मेरा सर्वोच्च सुख है। जो लोग अपनी भारी व्यस्तता के बीच भी ईश्वर को याद करते हैं, ईश्वर को प्यार करते हैं, वे कितने भाग्यशाली हैं।