विनय बिहारी सिंह
आज विग्यान का एक विषय। क्या कंप्यूटर मनुष्य के दिमाग का विकल्प बन सकता है? हमारे दिमाग की वायरिंग कंप्यूटर से ज्यादा सघन और बारीक होती है। मनुष्य के दिमाग के एक क्यूबिक सेंटीमीटर हिस्से में ५० मिलियन न्यूरान होते हैं। कई सौ मील तक फैल सकने वाले एक्सान भी हमारे दिमाग में होते है। एक्सान यानी वह सूक्ष्म तार जिसके जरिए न्यूरान अपना सिग्नल भेजते हैं। इसके अलावा एक ट्रिलियन सिनैप्स होते हैं। ये सिनैप्सेज ही दो न्यूरांनों को एक दूसरे से जोड़ते हैं। इसीलिए कई लोगों की याददाश्त बहुत जबर्दस्त होती है। दुनिया भर के वैग्यानिक इस कोशिश में लगे हुए हैं कि २०३० तक एक ऐसा कंप्यूटर बना लिया जाए जो मनुष्य के दिमाग की तरह काम करने लगे। लेकिन मुश्किल यह है कि कंप्यूटर कहां से भावनाएं लाएगा? मन यानी माइंड की चार अवस्थाएं होती हैं- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार। अगर आपके मन में नकारात्मक सोच बार- बार उभर रहा है तो इसका सीधा असर आपके भविष्य और पूरे शरीर पर पड़ रहा होता है। लेकिन ठीक इसके उलट अगर आपके मन में सकारात्मक विचार उठ रहे हैं तो अच्छे विचार उठ रहे हैं तो यह आपके लिए अति शुभ है। इसीलिए ऋषि मुनियों ने कहा है- अपने बारे में तो अच्छा सोचना ही चाहिए, दूसरों के बारे में भी अच्छा सोचना चाहिए। कंप्यूटर के साथ ऐसी कोई सुविधा नहीं है। यह है ईश्वर की इंजीनियरिंग। एक मनुष्य अपने बेटे या बेटी से जिस गहरे प्यार से बोलता है उन्हें स्पर्श करता है, उन्हें मानसिक संरक्षण देता है, क्या कंप्यूटर वह काम कर पाएगा? हां, आदमी के क्लोन बन सकते हैं। लेकिन यह साबित हो गया है कि क्लोन का दिमाग भी मूल व्यक्ति की तरह नहीं हो सकता। इस तरह किसी दिमाग का मूल्यांकन आप इससे नहीं लगा सकते कि वह कोई सूचना किस तरह प्रासेस करता है। बल्कि आप इससे उसकी क्षमता का अंदाजा लगा सकते हैं कि वह समस्याओं का हल किस तरह निकाल रहा है। इसलिए हमारी इंजीनियरिंग औऱ ईश्वर की इंजीनियरिंग में फर्क है। मनुष्य के दिमाग की एक सीमा है लेकिन भगवान के दिमाग की कोई सीमा नहीं है, उनका दिमाग अनंत है. जिसने (भगवान ने) हमारा दिमाग बनाया है उसी ने इस पूरे ब्रह्मांड को बनाया है। उसी के बनाए दिमाग ने कंप्यूटर बनाया है। फिर यह कैसे संभव है कि कंप्यूटर मनुष्य के दिमाग का विकल्प हो जाए? अब आइए हार्ड वेयर की बात करें। कंप्यूटर का मदर बोर्ड खराब हो जाता है तो सब कुछ ठप। जितनी जल्दी कंप्यूटर खराब होता है, मनुष्य का दिमाग खराब नहीं होता (इस पर बहस हो सकती हीऔर आप असहमत हो सकते hain), अगर मनुष्य बहुत नशा न करता हो या बहुत अल्लम- गल्लम न सोचता हो। कंप्यूटर में अचानक कोई भी वायरस कभी भी घुस सकता है। लेकिन आपके दिमाग को इतनी जल्दी वायरस नहीं दबोचता। आप अपने दिमाग को ध्यान या मेडिटेशन से स्वस्थ कर सकते हैं, लेकिन कंप्यूटर क्या मेडिटेशन कर सकता है?
1 comment:
बहुत सही ... हमारी और ईश्वर की इंजीनियरिंग में फर्क है ... पर विज्ञान नहीं मानना चाहता इस बात को ।
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