Saturday, April 4, 2009

कहीं यह रिसर्च चाकलेट का प्रचार तो नहीं


विनय बिहारी सिंह

लंदन से एक रिपोर्ट आई है। वहां के नार्थम्ब्रिया यूनिवर्सिटी के डेविड केनेडी ने शोध किया है कि चाकलेट खाने वालों का दिमाग तेज होता है। कैसे? चाकलेट में फ्लैवोनाल्स और पालीफिनाल्स रसायनों के तत्व पाए जाते हैं। इन रसायनों से दिमाग में खून का बहाव बढ़ जाता है और व्यक्ति की दिमागी क्षमता बढ़ जाती है। इसे ३० वालंटियरों पर आजमाया भी गया है। जो लोग अपना मनपसंद चाकलेट खा चुके थे वे चाकलेट न खाने वालों की तुलना में जल्दी से गणित के सवाल हल कर देते थे। तो कहा गया है कि अगर आप सुस्त महसूस कर रहे हैं तो या आपका बच्चा सुस्त है तो उसे चाकलेट खिलाएं। उसका दिमाग तेज हो जाएगा। कहीं यह रिसर्च चाकलेट का प्रचार तो नहीं है? यह रिसर्च हमारे यहां भी लगभग सभी अखबारों में आ चुका है। भारत में कितने प्रतिशत लोग या बच्चे बड़ी कंपनियों के चाकलेट खाते हैं? जिस देश में आजादी के ६० साल बाद भी शुद्ध पीने का पानी न हो, जहां के लोग सामान्य आवश्यक आवश्यकताओं के लिए भी एंड़िया घिस रहे हों, वहां चाकलेट की जै जै क्या शर्मनाक नहीं है।
इसके अलावा एक और खबर है। दिल्ली में एक शराब की बोतल लांच की गई है। मैं इसे फिर लिख रहा हूं- इसकी कीमत २० लाख रुपए। एक बोतल शराब की कीमत २० लाख रुपए। इधर कोलकाता में एक खास किस्म का मशरूम १९००० रुपए किलो बिक रहा है। आर्थिक मंदी के दौर में इतना महंगा सामान लांच हो रहा है। इसे आप क्या कहेंगे?