Wednesday, September 8, 2010

जगन्माता का एक और रूप

विनय बिहारी सिंह


आपको यह कथा याद ही होगी कि जब मथुरा की जेल में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो उनके पिता वासुदेव जी मथुरा के उस पार गोकुल में नंद जी के घर पर यशोदा जी की गोद में रख आए और यशोदा जी की गोद में रखी नवजात बच्ची को मथुरा ले आए और देवकी की गोद में रख दिया। देवकी की गोद में बच्ची ज्योंही रखी गई वह जोर से रोने लगी। भगवत कृपा से सोए हुए सारे प्रहरी अचानक जग पड़े और दौड़ कर राजा कंस को सूचना दी कि उनकी बहन देवकी को संतान हुई है। कंस आधी रात को ही जेल में आया और देवकी की गोद से बच्ची को छीन कर जमीन पर दे मारने वाला ही था कि बच्ची हाथ से छूट कर आसमान में चली गई और एक दिव्य दैवी प्रकाश के रूप में प्रकट हो कर भविष्यवाणी की- तुम्हारा वध करने वाला तो जन्म ले चुका है कंस। अब तुम बच नहीं सकते। इसके बाद दैवी प्रकाश लुप्त हो गया। इस भविष्यवाणी के बाद से कंस भयभीत रहने लगा। आखिर यह देवी कौन थी। संतों का कहना है कि यह देवी जगन्माता थीं- भगवान का ही एक रूप। दुर्गापूजा करीब आ गया है। पश्चिम बंगाल में दुर्गापूजा की बड़ी धूम रहती है। इसके बाद दीपावली के समय होती है काली पूजा। वे भी जगन्माता का ही एक रूप हैं। परमहंस योगानंद जी ने कहा है कि मां के रूप में भगवान से प्रार्थना काफी प्रभावशाली होती है। मां बच्चे की गलतियों को क्षमा कर उसे अभयदान देती हैं।

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