किवदंतियोंके अनुसार भगवान धनवंतरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए, हिंदू शास्त्रों में भगवान धनवंतरि की परिकल्पना चार भुजाओं वाले तेजवान व्यक्तित्व के रूप में की गई है। इनके एक हाथ में अमृत कलश, एक हाथ में शंख व एक हाथ में आयुर्वेद तंत्र लिपिबद्ध रुपमें है। चौथे हाथ में वनस्पतियां भी दिखाई देती है।
धनवंतरि मानव को रोगों से बचाने और उसे स्वस्थ रखने के लिए चिकित्सा शास्त्र आयुर्वेद के ज्ञान को भी अपने साथ लाए थे। आयुर्वेद अनादि और अनंत है। सर्वप्रथम इसका ज्ञान सृष्टि के रचयिता ब्रह्माको हुआ। इसीलिए ब्रह्माको आयुर्वेद का जनक माना जाता है।
ब्रह्मा के बाद दक्ष प्रजापति अश्विन कुमारों, इंद्र, भारद्वाज, पुनर्वसु,अग्निवेशतथा धनवंतरि जैसे ऋषियों, मुनियों द्वारा आयुर्वेद भूलोक पर अवतरित हुआ। शरीर, इंद्रीयपनऔर आत्मा के संयोग को आयु कहा गया है। वेद ज्ञान है अर्थात आयु का ज्ञान ही आयुर्वेद है।
आयुर्वेद का उद्देश्य स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के रोग का निवारण करना है। दक्ष प्रजापति से आयुर्वेद पद्धति का ज्ञान हासिल करने वाले अश्विनी के बारे में पौराणिक ग्रंथों में विजातीय शल्य क्रिया के माध्यम से गणेश के शरीर पर हाथी का सिर प्रत्यारोपितकरने का उल्लेख किया गया है।
आयुर्वेद चिकित्सक डा.अशोक कुमार सिंह बताते है कि एलोपैथ के विशेषज्ञ भी अब भारत की अति प्राचीन विजातीय शल्य क्रिया के सिद्धांतों को अंगीकार कर रहे हैं। आयुर्वेद ने स्वस्थ शरीर को ही धन माना है। इसीलिए स्वास्थपहले है धन-दौलत बाद में। अतएव धनतेरस के मौके पर स्वास्थ्य की रक्षा के साथ ही सुख सुविधाएं प्रदान करने वाली वस्तुओं की खरीददारी का भी प्रचलन है। क्योंकि कहा गया है कि पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया।
भगवान धनवंतरि का आविर्भाव कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी यानी धनतेरस को हुआ था। प्रतिवर्ष इसी तिथि को आरोग्य देवता के रूप में इनकी जयन्ती मनाई जाती है। इनके नाम का स्मरण करने मात्र से समस्त रोग दूर हो जाते हैं।
दीपावली में पहली पूजा आरोग्य देवता धनवंतरि की किया जाता है। भगवान धनवंतरि ने सौ प्रकार की मृत्यु कही है। इसमें एक ही काल मृत्यु है शेष सभी से निदान और चिकित्सा से बचा जा सकता है।
इसके अतिरिक्त जीव जंतुओं, प्रकृति प्राणियों के स्वभाव से लेकर शल्य चिकित्सा तक भगवान धनवंतरि के वैज्ञानिक विश्लेषण हैं। आयुर्वेद इसी का प्रतीक है। जडी-बूटियां चिकित्सा पद्धति धार्मिक आधार पर वन संपदा और जडी-बूटियों पर भी लक्ष्मी का वास है। स्वस्थ शरीर ही सबसे बडी पूजा है। धनवंतरि जयंती के दिन भगवान धनवंतरि का प्रादुभावहोने से धनतेरस वैज्ञानिक पर्व बन गया है।
6 comments:
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
यह लीजिये, मैं तो धन तेरस बरतन खरीदने का पर्व मानता था। वह धन्वन्तरि से सम्बद्ध निकला।
धन्यवाद।
और समीर लाल वर्ड वैरीफिकेशन हटाने में सन्नध हो गये। सुन्दर।
इस नए चिटठे के साथ चिटठा जगत में आपका स्वागत है । आशा है कि आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को मजबूती देंगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है।
Achchaa lekh. Likhte rahe..shubhkaamnaayenn..
welcome!!!
ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.
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साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.
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