Wednesday, September 26, 2012

भगवान की कृपा




संतों ने कहा है कि भगवान के किसी नाम का जप करना कल्याणकारक है। यह जप हृदय की गहराई से होनी चाहिए। अनेक लोग ऐसे हैं जो- राम, राम, राम का जप करते हैं और इसमें उन्हें खूब आनंद आता है। कुछ लोग- ओम नमः शिवाय का भी जप करते हैं। इसी तरह भगवान कृष्ण, दुर्गा, काली और भगवान के अन्य नामों का जप करने वाले भी हैं। भगवान के किसी एक रूप और नाम को पकड़ने से ही हुआ। संतों कहते हैं कि भगवान का भक्त एक बार दिल से उन्हें पुकारता है तो वे तुरंत उसके पास चले आते हैं। वे तो बस बाट जोहते रहते हैं। यह आकर्षण अत्यंत मनोहारी है। इधर भक्त भगवान को पुकारता है। भगवान तो सहज ही दिखाई नहीं देते, भक्त इसका बुरा नहीं मानता। वह कहता है- ठीक है आप छुपे रहिए लेकिन मैं आपको पुकारता रहूंगा। मैं जानता हूं आप मेरी पुकार सुन रहे हैं। मैं आपसे बातें भी करूंगा।  भले ही यह बात एकतरफा ही क्यों न हो। लेकिन मैं आपसे अपना संबंध बनाए रखूंगा। भले ही यह सिर्फ मेरी ही तरफ से क्यों न हो। आखिर कभी तो आप पिघलेंगे। तब भगवान के पास कोई चारा नहीं रहता। वे भक्त के हृदय की भावनाओं का आदर करते हैं। वे भक्त की तड़प का आदर करते हैं और उस पर कृपा करते हैं।

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