Friday, September 21, 2012

बूढ़ा शरीर



शरीर बूढा होता है तो व्यक्ति चाहता है कि उसकी मृत्यु जल्दी हो जाए। हालांकि घर के लोग ऐसा नहीं चाहते। जिस शरीर के प्रति मनुष्य जीवन भर आसक्त रहता है, वही एक वक्त परेशान करने लगता है। आंखों से दिखाई नहीं देता। पैरों से चला नहीं जाता। सुनने की क्षमता खत्म होती जाती है। तब लगता है कि शरीर साथ छोड़ रहा है। यानी यह शरीर भी अपना नहीं है। यह धोखा दे देता है। या कहें साथ नहीं निभा पाता। भगवत गीता के दूसरे अध्याय में भगवान कृष्ण ने कहा है- जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्र धारण करता है, वैसे ही आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण करती है। गीता में भगवान ने यह भी कहा है-  जन्म लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है और मरे हुए का जन्म निश्चित है । सिर्फ उन्हीं लोगों का जन्म नहीं होता जो सांसारिक कामनाओं से ऊपर उठ चुके हैं और ईश्वर के साथ तादात्म्य स्थापित कर चुके हैं। ऐसे साधक मोक्ष पाते हैं।

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