विनय बिहारी सिंह
पिछले दिनों मैं जोधपुर (राजस्थान) में एक शादी में गया था। बारात दिल्ली से गई थी। जोधपुर में हम बारातियों के मनोरंजन के लिए कन्या पक्ष ने लोकनृत्य और गीत का प्रोग्राम रखा था। उसमें एक नृत्य था घूमर। एक महिला ने सिर पर सात घड़े रख कर तलवार पर नृत्य किया। हम सब बेहद उत्सुकता से इस अद्भुत नृत्य को देख रहे थे। अचानक मुझे महसूस हुआ कि सिर पर रखे सातों घड़े, हमारे मेरुदंड के चक्रों के प्रतीक हैं और तलवार संतुलित जीवन का प्रतीक। मैंने इस नृत्य का फोटो अपने मोबाइल कैमरे में उतार लिया। लेकिन मुश्किल यह है कि मोबाइल से यह कंप्यूटर में ट्रांसफर नहीं हो सकता। अगर हो सकता तो मैं आपको उसकी झलक दिखाता। अद्भुत नृत्य था यह। एक और बात समझ में आई। आमतौर पर बीन को हम सब संपेरे का ही वाद्य मानते रहे हैं। लेकिन इन लोक कलाकारों ने बीन को एक सुरीले वाद्य यंत्र के रूप में इस्तेमाल किया। बीन से इतनी भिन्नता वाली अत्यंत कर्णप्रिय धुनें निकल सकती हैं, मैंने पहली बार जाना। जो महिलाएं नृत्य कर रही थीं। वे कठिन नृत्य के बावजूद हंस रही थीं। मानों यह उनके लिए मामूली खेल हो। लेकिन जो संतुलन और धैर्य मैंने इन नर्तकियों में देखा, वह विलक्षण था। मनुष्य को जीवन में अत्यंत संतुलित रहना चाहिए, यह संदेश इस संगीत कार्यक्रम से बार- बार निकल कर आ रहा था। एक नर्तकी बोली- मैं तो बस यही ध्यान रखती हूं कि नृत्य के समय एक कदम भी गलत न पड़े। वरना नृत्य की गरिमा नष्ट हो जाएगी। ठीक इसी तरह क्या मनुष्य के गलत कदम से उसकी गरिमा नष्ट नहीं हो जाती?
2 comments:
एक इंसान की गरिमा तो एक गलत कदम से नष्ट हो सकती है , मगर नेता को कोई फर्क पड़ता |
देश को लूट के कुछ दिन जेल में घूमकर फर से वोट मांगने निकल पड़ते हैं |
जानकारी के साथ साथ शिक्षाप्रद भी , आभार
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