Friday, October 28, 2011

काला राम का मंदिर

विनय बिहारी सिंह



नासिक के पंचवटी इलाके में घूमते हुए मुझे काला राम का मंदिर दिखा। पहले तो लगा किसी काला राम ने इसे बनवाया होगा। लेकिन मंदिर में गया तो पाया कि भगवान राम, लक्ष्मण और सीता जी की मूर्ति काले पत्थर से बनी है, इसीलिए इस मंदिर को काला राम का मंदिर कहा गया है। भगवान राम की मूर्ति का दर्शन कर नीचे उतरा तो सामने ही एक और मंदिर दिखा- हनुमान जी का। उसी कैंपस में। नजदीक गया तो पाया कि वह हनुमान जी का मंदिर है और हनुमान जी की मूर्ति भी काले पत्थर से ही बनी है। अच्छा लगा। जिस रंग में राम जी उसी रंग में हनुमान जी। मूर्ति सुंदर और जाग्रत लगी। भगवान राम के मंदिर में क्षण भर बैठ कर अच्छा लगा।
तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा किसी प्रसंग में लिखा है-

दीनदयाल विरद संभारी। हरहुं नाथ मम संकट भारी।।

अर्थात- हे राम, आप दीनदयाल हैं। दीनों की रक्षा करने वाले। मेरे ऊपर भारी संकट आया है। कृपया मुझे इस संकट से बचा लीजिए। इस संकट को हर लीजिए।
भगवान के भक्त इसीलिए तो कहते हैं- हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे। हे भगवान राम, आप सारे दुखों, पाप-ताप का हरण करने वाले हैं। अब मैं आपकी शरण में आया हूं। फिर कोई गलती नहीं करूंगा। मेरे दुखों और संतापों का हरण कर लीजिए। आप तो शरणागत की रक्षा करते हैं। मैं आपकी शरण में हूं। रक्षा कीजिए भगवान, रक्षा कीजिए।

1 comment:

Pallavi saxena said...

भक्तिमय पोस्ट ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
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