Saturday, October 29, 2011

फलों के विभिन्न रंग और कब्ज

विनय बिहारी सिंह



घर से दफ्तर आते वक्त रास्ते में एक फल की दुकान पड़ती है जिसमें विदेशी फल बिकते हैं। वहां से गुजरते हुए तरह-तरह के सेब, नाशपाती, अंगूर, आलूबुखारा, ईरानी अंगूर, आस्ट्रेलिया का किवी देख कर अच्छा लगता है। कई बार सोच कर निकलता हूं कि आज कोई न कोई फल अवश्य लूंगा। लेकिन इतनी गहन व्यस्तता होती है कि कुछ भी खरीदने या किसी परिचित को फोन करने की सुधि नहीं रहती। आज एक खूबसूरत नाशपाती देखी। उस पर लाल आभा आ गई थी। यह सब लिखने का क्या अर्थ है? दरअसल आज एक जगह पढ़ा कि फल और सब्जियों का बहुतायत में सेवन से हमारा पेट स्वस्थ रहता है और मन शांत। आज पेट के रोगों पर काफी कुछ पढ़ने को मिला। सोचा आपको भी बताऊं क्या पढ़ा। लेकिन जब फलों की चर्चा चल पड़ी है तो सेब के स्वाद की भी चर्चा हो। मैंने जो अनुभव किया है, पहले उसे बताएं। सेब कई रंगों वाले होते हैं- लाल, गुलाबी, पीले, हरे, हरे-लाल मिक्स, पीले- हरे मिक्स और सफेद। इनके स्वाद में थोड़ा सा फर्क होता है लेकिन सेब का जो टिपिकल स्वाद होता है, वह तो सबमें ही रहता है। नाशपाती भी तरह तरह के होते हैं। लेकिन कुछ नाशपाती चबाने में चीमड़ होते हैं और कुछ चबाने में सुखद और स्वादिष्ट। आलूबुखारा आमतौर पर खट्टे ही होते हैं। कुछ लोग उसमें मधु मिला कर खाते हैं। क्योंकि यह कब्ज तोड़ता है। कब्ज के विशेषग्य बताते हैं कि कब्ज तोड़ने वाली सब्जी में लौकी का कोई जवाब नहीं। खासतौर से एकदम ताजा लौकी। लेकिन इसके साथ ईसबगोल की भूसी का सेवन जरूरी है। आयुर्वेद के डाक्टर कहते हैं- मुनक्का भिंगो कर दिन में रख दीजिए और रात को भोजन के पहले एक कप दूध के साथ उसका सेवन कीजिए। सुबह पेट साफ। इसके अलावा त्रिफला को पानी में मिला कर उसमें गाय का घी डाल कर पीने से भी फायदा होता है। इसके अलावा खजूर को एक चम्मच गाय के घी के साथ खाने पर भी कब्ज में काफी फायदा होता है। लेकिन खजूर का फल सूखा न हो। यदि सूखा है तो इसे भिंगो देना चाहिए। कब्ज से परेशान लोगों को सूखे फल नहीं खाने चाहिए। मिठाई और शर्बत से परहेज करना चाहिए।