विनय बिहारी सिंह
एक साधु से किसी तर्कवादी ने पूछा- यदि भगवान हैं तो दिखते क्यों नहीं? साधु ने कहा- भगवान कोई वस्तु नहीं हैं कि कोई दिखा दे। वे तो सर्वव्यापी, सर्वग्याता और सर्वशक्तिमान हैं। उन्हीं से सारी चीजें बनीं हैं और उन्हीं में सारी चीजों का लय हो जाता है। जन्म भी उन्हीं में और मृत्यु भी उन्हीं में। हम जीवित भी उन्हीं में हैं। हम सांस भी उन्हीं की कृपा से लेते हैं। हमारी सांस तय है। उससे ज्यादा सांस हम नहीं ले सकते। यह तय करने वाले भगवान ही हैं। और कोई नहीं। ये दिन- रात, सूर्य- चंद्रमा, चांद- तारे, प्रकृति की सुंदरता और अनंत कोटि ब्रह्मांड उन्हीं के कारण नियम से चल रहे हैं। २४ घंटे के दिन और रात को उन्होंने ही बनाया है। फिर भी आप पूछ रहे हैं कि भगवान कहां हैं? तब तर्कवादी ने पूछा- अगर भगवान हैं तो दुनिया में इतना दुख, इतनी पीड़ा क्यों है? साधु ने उत्तर दिया- हमने जो कर्म किया है उसी का फल भोग रहे हैं। भगवान ने हमें स्वतंत्र इच्छा शक्ति दी है। अगर हम उस इच्छा शक्ति का दुरुपयोग करेंगे तो फल भोगेंगे ही। इसमें भगवान का तो कोई दोष नहीं है। उन्होंने आपको हवा दी, पानी दिया, सूर्य का प्रकाश दिया, फल- फूल दिए, अनाज दिया। लेकिन फिर भी आप उनके आभारी नहीं हैं। उल्टे आप उनके अस्तित्व पर ही शक कर रहे हैं। तब तर्कवादी ने पूछा- आखिर कोई तो भगवान के संपर्क में होगा? साधु ने कहा- हां, इस दुनिया में अनेक संत हैं जो भगवान के संपर्क में हैं। उनका मन पूर्ण रूप से भगवान में स्थिर है। उनकी आंखें बंद हों या खुली निरंतर भगवान के दर्शन करती रहती हैं। यदि आप भी घंटों स्थिर बैठ कर भगवान का गहरा ध्यान करें तो उनकी दिव्य अनुभूति होगी। लेकिन किसी में इतना धैर्य नहीं है। अनेक लोग समझते हैं कि किताबें पढ़ने या तर्क करने से ही भगवान मिल जाएंगे। हर चीज का एक नियम होता है। भगवान को अनुभव करने के नियमों का पालन कीजिए। सत्य, अहिंसा, आस्तेय, ब्रह्मचर्य, शुचिता, तप, संतोष, स्वाध्याय और ईश्वर में पूर्ण समर्पण के बाद धारणा, ध्यान और समाधि की स्थिति प्राप्त होती है। सिर्फ तर्क करने से भगवान का अनुभव नहीं होगा।
1 comment:
भगवान तो तर्क से परे हैं।
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