Friday, October 7, 2011

कब्ज दूर करने के प्राकृतिक उपाय

विनय बिहारी सिंह



आज कब्ज के बारे में एक जानकार से ढेर सारी बातें हुईं। इसे मैं आपको भी बताना चाहता हूं। कब्ज के विशेषग्य डाक्टर ने कहा- अगर अधिक मात्रा में कब्ज तोड़ने वाली दवाएं ली जाएंगी तो भी कब्ज हो जाता है। कैसे? आपने कब्ज खत्म करने वाली दवा जरूरत से ज्यादा मात्रा में ली। आपका पेट साफ हो गया। लेकिन जैसे ही आपने दवा छोड़ी कब्ज ने अपना मजबूत आसन जमा लिया। इसलिए कभी भी दवाओं पर आश्रित नहीं रहना चाहिए। अगर आपको कब्ज है तो हफ्ते में या पंद्रह दिन पर इसबगोल की भूसी जरूर ले लेनी चाहिए। यह प्राकृतिक उपाय है। दिन भर में तीन बार एक- एक चम्मच इसबगोल की भूसी अच्छी है। लेकिन अगर आप दो चम्मच भी लेते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है। दिन भर में तीन से चार लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए।
आलूबुखारा कब्ज वाले रोगी को बहुत फायदा करता है। कोलकाता में आलूबुखारा खूब मिलता है। लेकिन चूंकि यह थोड़ा सा खट्टा होता है, इसलिए इसके साथ थोड़ा सा खजूर (सूखा फल) मिला कर खा सकते हैं। कई लोग आलूबुखारा पुलाव वगैरह में भी डाल कर खाते हैं। दिन में सेब का रस पीना कब्ज को मार डालने जैसा बताया गया है। पपीता कब्ज खत्म करने वाला लोकप्रिय फल है। यह पेट तो साफ करता ही है, स्वास्थ्यवर्द्धक भी है। पपीते के साथ अगर अंजीर का सेवन भी किया जाए तो यह फायदा कई गुना हो जाता है। पालक भी कब्ज तोड़ने की अचूक दवा है लेकिन पालक मुझे सूट नहीं करती। हालांकि इसमें तमाम विटामिन और मिनरल्स होते हैं। डाक्टर पालक का रस पीने की सलाह देते हैं लेकिन वह भी मुझे सूट नहीं करता। संतरे का रस निसंदेह कब्ज में बहुत फायदेमंद है और यह सबको सूट करता है। सुबह नाश्ते में एक या दो संतरे और रात को सोने से पहले एक या दो संतरे लेना बहुत फायदेमंद है। अमरूद और अमरूद का रस भी बहुत फायदा करता है। गाजर, टमाटर आदि का सेवन तो अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा नमक मिला नींबू का पानी खूब फायदेमंद है। पानी गुनगुना होना चाहिए। अमरूद के अलावा अंगूर, भृंगराज का रस आदि अचूक प्राकृतिक दवाएं हैं। डाक्टर ने कहा- इन सारी चीजों के सेवन के अलावा हफ्ते में एक दिन सिर्फ संतरे या मोसम्मी के रस पर उपवास रखना सोने में सुगंध जैसा है। हरी सब्जियां भी फाइबर युक्त होती हैं और कब्ज खत्म करने में मदद करती हैं, बशर्ते उन्हें खूब तेल या घी में भूना न गया हो। उबली सब्जियां इसीलिए अमृत जैसी होती हैं। हल्का तेल डालना नुकसानदेह नहीं होता। अंतिम चीज जो बहुत आवश्यक है, वह है- व्यायाम। खासतौर से पेट वाले व्यायाम।
डाक्टर से जो मैंने सुना आप तक पहुंचा कर अच्छा लग रहा है।

1 comment:

डॉ टी एस दराल said...

बढ़िया तरीके बताये हैं ।
बस थोडा खर्चा ज्यादा आ जायेगा ।
कब्ज़ न हो , यह ज्यादा ज़रूरी है । इसके लिए पहला काम --आटा चक्की का पिसा हुआ और मोटा हो । थैली का आटा मैदा जैसा होता है जो कब्ज़ का घर है । मैदे से बनी चीजें कम से कम खाएं ।
हरी सब्जियां और सलाद ,ज्यादा खाएं । पानी की उचित मात्रा अवश्य पियें । व्यायाम निश्चित ही फायदेमंद है ।
कब्ज़ लगातार रहे तभी दवा लें ।