विनय बिहारी सिंह
शिकागो स्थित येल यूनिवर्सिटी की राशेल लैंपर्ट ने गहन शोध के बाद यह बताया है कि क्रोध मनुष्य को १० गुना तेजी से मारता है। यानी अगर आप क्रोधी व्यक्ति हैं तो निश्चित रूप से आप खुद को ही मार रहे हैं। यह रिपोटॆ अमेरिकन कालेज आफ कार्डियोलाजी के जरनल में छपा है। शोध में कहा गया है कि जब आपको क्रोध आता है तो आपके हृदय से नुकसान पहुंचाने वाला करेंट निकलने लगता है। नतीजा यह होता है कि आपका नर्वस सिस्टम बुरी तरह क्षतिग्रस्त होता है। इसके अलावा आपके मस्तिष्क को भी भारी नुकसान पहुंचता है। शोध में यह भी सामने आया है कि अगर आप अक्सर क्रोध करते हैं तो आपको दिल की बीमारी या ब्रेन हेमरेज का खतरा बना रहता है। हमारे ऋषि- मुनियों ने तो पहले ही कहा है कि मनुष्य को क्रोध से बचना चाहिए। अपना आपा नहीं खोना चाहिए। उन्होंने हजारों साल पहले ही कह दिया है कि क्रोध से आप अपना ही नुकसान करते हैं। इसीलिए उन्होंने ध्यान करने पर जोर दिया है। ध्यान में आप सोचने- विचारने से पूरी तरह मुक्त हो जाते हैं। आप मानते हैं कि सिर्फ भगवान हैं और मैं हूं। और कोई नहीं है। जब मेरे साथ भगवान हैं तो फिर डर किस बात का? जो होगा, भगवान देखेंगे। इस मानसिकता के साथ धीरे- धीरे आपके दिमाग में एक सुरक्षा भावना आने लगती है। लेकिन यह तभी संभव होगा, जब आप लगातार ध्यान करेंगे। आज ध्यान किया और दो दिन छोड़ दिया या एक दिन छोड़ दिया तो फिर कोई फायदा नहीं होगा। हर रोज एक निश्चित समय तय कर लेना चाहिए। चाहे वह रात को ही क्यों न हो। लेकिन जो समय तय किया है बस उस समय और कोई काम नहीं सिर्फ ध्यान करना चाहिए। अगर आप ध्यान नहीं कर सकते तो जाप ही कीजिए। अगर आप जाप नहीं कर सकते तो भजन ही कीजिए। रामकृष्ण परमहंस इसे भजनानंद कहते थे। यानी जो आनंद आप भजन गा कर पा रहे हैं उसे भजनानंद कहते हैं। तो क्या अकेले भजन गाएं? आपका सवाल हो सकता है। क्यों नहीं। अकेले भजन गाने में क्या बुराई है। आराम से- हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।। गा सकते हैं। गुनगुना सकते हैं। हर्ज क्या है? इसमें तो आनंद ही आनंद है।
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