Monday, February 23, 2009

भगवान शिव की अराधना


विनय बिहारी सिंह

न जाने कितने वर्षों बाद महाशिवरात्रि सोमवार को आई है। इस दिन का खास महत्व है। भगवान शिव वैसे तो हमेशा ही जीवों को आशीर्वाद देते रहते हैं। लेकिन महाशिवरात्रि के दिन उनकी विशेष कृपा रहती है। जो भी उनके पास स्वच्छ हृदय और भक्ति के साथ जाता है यानी श्रद्धा के साथ स्मरण, पूजन और जाप करता है, उस पर उनकी कृपा बरसती है। समुद्र पार कर लंका में प्रवेश करने से पहले भगवान राम ने रामेश्वरम में भगवान शिव की स्थापना की और उनकी विधिवत पूजा की। फिर उन्होंने यह भी कहा-
शिव द्रोही मम दास कहावा।
सोई नर सपनेहुं मोहिं न पावा।।
यानी जो व्यक्ति शिव का विरोधी है और मुझसे प्रेम करता है, वह मुझे सपने में भी नहीं पा सकता। यानी भगवान राम या कृष्ण तक पहुंचने के लिए भगवान शिव की अराधना बहुत जरूरी है। आपने सुना ही होगा कि जिस व्यक्ति के जीवन पर खतरा आता है, वह महामृत्युंजय जाप कराता है। अगर उसे कोई घातक रोग हो गया हो या बार- बार वह दुर्घटनाओं का शिकार हो रहा हो तो उसे यह जाप कराने को कहा जाता है। यह जाप है क्या? सभी जानते हैं कि यह जाप भगवान शिव की अराधना है। तो शिव जी महामृत्युंजय भी हैं। और अगर शिव के सिद्ध साधक से पूछिए तो वह कहेगा- यह संपूर्ण जगत ही शिवमय है। इस पृथ्वी पर जो कुछ भी दिखाई देता है, वह शिव की महिमा के कारण ही है। इसके अलावा जो आपको नहीं दिखाई देता वह भी शिव की ही महिमा के कारण है। शिव साधना रहस्य में कहा गया है कि अगर आप संपूर्ण इंद्रिय, मन और बुद्धि के अलावा अहं और चित्त का समर्पण भगवान शिव के सामने कर दें तो वे आपका उद्धार कर देंगे। लेकिन इसके लिए संपूर्ण भक्ति की जरूरत है। मन कहीं न भटके, सिर्फ भगवान शिव में रमा रहे। धीरे- धीरे यह स्थिति हो कि आप और शिव मिल कर एक हो जाएं। आप न रहें, सिर्फ शिव ही शिव रहें। ऐसी स्थिति में आप शिव की कृपा पाएंगे। महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण और शिव मंत्र का जाप बहुत ही प्रभावकारी माना गया है। ऊं नमः शिवाय।