Friday, January 16, 2009

हृदय बहुत संवेदनशील अंग है ध्यान इसे सुधारता है

विनय बिहारी सिंह
अपोलो अस्पताल कोलकाता के मशहूर डाक्टर राबिन चक्रवर्ती कहते हैं कि हर्ट इज वेरी टेंपरामेंटल आर्गन। यानी हृदय बहुत ही संवेदनशील अंग है। कैसे? जब हम दुखी रहते हैं तो हमारा दिल अलग तरीके से धड़कता है। जब हम क्रोध में होते हैं तो अलग तरीके से धड़कता है। खुश हैं तो अलग तरीके से धड़कता है। उत्साहित हैं तो अलग तरीके से। संत- महात्माओं ने कहा है कि ध्यान हमारे हृदय को नियंत्रित कर देता है। यानी ध्यान ऐसी औषधि है जिससे मनुष्य को गहरी शांति, स्वास्थ्य और ईश्वर की कृपा मिलती है। हमारा मन चंचल है। वह कहीं एक जगह ठहरता नहीं है। कभी यहां तो कभी वहां। मन जितना चंचल रहता है, हमारा हृदय उसी के अनुरूप धड़कता है। इसलिए हृदय को नियंत्रित करने का एकमात्र उपाय है प्राणायाम और ध्यान।
जब तक हम जवान हैं, हृदय की परवाह नहीं करते हैं। जो मरजी खाते हैं, पीते हैं औऱ तनाव में रहते हैं। कई लोगों को तो छोटी- छोटी बातों में तनाव मोल लेने की आदत होती है। खाना ठीक नहीं बना तो तनाव हो गया। किसी ने कुछ कह दिया तो तनाव हो गया। बस या ट्रेन छूट गई तो तनाव हो गया। लेकिन संतों ने कहा है कि धैर्य रखिए, शांत मन से परिस्थितियों का सामना कीजिए। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि कहना आसान है औऱ तनाव को रोकना मुश्किल। तनाव कह कर तो आता नहीं है। वह तो कब आपको दबोच लेता है, पता ही नहीं चलता। लेकिन संतों का कहना है कि नहीं। अगर आप सतर्क रहेंगे तो ऐसा नहीं होगा। ज्योंही तनाव होना शुरू हुआ कि आप मन को कमांड करेंगे- तनाव नहीं करना है। तनाव मत करो। उस समय आप अपने जीवन के अच्छे अनुभवों को सोचना शुरू कर दीजिए। जीवन के अच्छे प्रसंगों को सोचने लगिए। धीरे- धीरे आप तनाव से दूर रहना सीख जाएंगे।