Thursday, December 4, 2008

दुर्गतिनाशिनी हैं मां दुर्गा


विनय बिहारी सिंह
मां दुर्गा के हाथों में जो विभिन्न शस्त्र हैं, वे उनके भक्तों को भी मिल जाते हैं। बशर्ते कि उनमें अटूट भक्ति हो। मां दुर्गा शेर पर सवार हैं। यह कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है। कुंडलिनी शक्ति को अगर साधना के जरिए जगाया जाए तो वह नियंत्रित हो कर आग्या चक्र तक जाती है और फिर मनुष्य की चेतना सहस्रार का दर्शन पाती है और उसी में लीन होती है। यह कितने आनंद का विषय है, साधक ही इसकी व्याख्या कर सकता है। यह शक्ति ही मां दुर्गा की सवारी के रूप में देखी जा सकती है। कुछ दूसरे संत इसकी एक और तरह से व्याख्या करते हैं। उनका कहना है कि शेर सर्वाधिक शक्तिशाली जानवर है। मनुष्य के भीतर भी एक शक्तिशाली पशु है। अगर उसे पोषित किया गया तो मनु्ष्य के भीतर पशु वृत्तियों का प्राधान्य होगा। अगर पशु वृत्तियों पर नियंत्रण कर लें तो वे आपकी गुलाम हो जाएंगी। इंद्रिय, मन और बुद्धि अगर आपके नियंत्रण में हैं तो आप ईश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं। मां दुर्गा तो स्वयं ईश्वर की अवतार हैं। इसलिए अपने भक्तों को पशु वृत्तियों पर लगाम कसने के लिए प्रेरित करने मकसद से वे शेर पर सवार हैं। वे तो सर्वशक्तिमान हैं, सर्व व्यापी हैं और सर्व ग्याता हैं। उनकी निरंतर स्तुति करने से हमारे कठिन से कठिन दुख दूर हो जाते हैं।