मित्रों आज ३१ दिसंबर २०१२ को मैं इंडियन एक्सप्रेस लिमिटेड के हिंदी समाचार पत्र- जनसत्ता- से रिटायर हो गया। लेकिन यह जीवन से रिटायर होना नहीं है। फिर किसी दूसरे समाचार पत्र में ज्वाइन करने की योजना है। अभी मैं ऊर्जावान हूं। काम करने का उत्साह है और ईश्वर की कृपा है। यदि मेरे भीतर फिर किसी दूसरे अखबार से जुड़ने की प्रेरणा है तो निश्चित तौर पर यह ईश्वर का आशीर्वाद है। चूंकि मुझे पेंशन बहुत संतोषजनक नहीं मिलेगी, इसलिए नौकरी करना आवश्यक है। जब तक शरीर और दिमाग चले, काम करने में हर्ज क्या है? संसार में अपने कर्तव्यों को करते हुए हम ईश्वर से जुड़े रह सकते हैं। योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया के स्वामी शुद्धानंद जी की कही एक बात याद आ रही है। उन्होंने कहा- संसार के अपने कर्तव्यों को ईश्वर का काम मान कर चलिए। फिर रात को स्वयं को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर दीजिए। यही जीने की कला है। इस तरह आप काम करते हुए भी ईश्वर से जुड़े रहेंगे।
स्वामी जी की इन्हीं बातों को याद करते हुए मैं अपना आगामी जीवन जी सकूं तो अच्छा लगेगा।
1 comment:
बिल्कुल ठीक कहा आपने कि यह रिटायर होना, जीवन से रिटायर होना नहीं है। आपको नववर्ष २०१३ की शुभकामनाएं। नई ऊर्जा के साथ करें नई पारी की शुरुआत।
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