Friday, May 3, 2013

ईश्वर सर्वत्र व्याप्त हैं


मित्रों, हमारे जीवन में यूं तो अक्सर कोई न कोई घटना होती रहती है। अच्छी  भी और सामान्य भी। एक दिन असाधारण ढंग से भयानक बिजली कड़की। लगा कहीं बिजली गिरी। और मेरा कंप्यूटर इंटरनेट से डिसकनेक्ट हो गया। मैंने तकनीशियन को बुलाया। उसने बताया कि मेरा लैन कार्ड जल गया है। चूंकि कंप्यूटर एक आदत में शामिल हो गया है, इसलिए मैं लैन कार्ड तुरंत खरीद लाया और उसे लगाया। इंटरनेट फिर से कनेक्ट हो गया। जब मैं लैन कार्ड खरीद रहा था तो दुकानदार ने बताया कि जब भी बिजली कड़के तो आप इंटरनेट का तार सीपीयू से निकाल दिया कीजिए। मैंने पूछा कि क्या बिजली का प्लग निकाल देने से काम नहीं चलेगा? उसने कहा- नहीं सर। आसमान में कड़कती बिजली, तब भी आपके सीपीयू में घुस जाएगी और आपका मदर बोर्ड तक जला डालेगी। इसलिए आप इंटरनेट का ही प्लग निकाल दीजिए। झंझट खत्म हो जाएगा। मैं सोचने लगा कि क्या गजब है। आसमान में चमकती बिजली से हम किस तरह करीब से जुड़े हैं। उधर बिजली चमकी नहीं कि इंटरनेट से हमारा कनेक्शन खत्म। क्योंकि बिजली हमारे सीपीयू में घुस गई। ऋषियों ने कहा ही है-   यत पिंडे, तत ब्रह्मांडे।।  ईश्वर आखिर सर्वत्र व्याप्त हैं। वही कंप्यूटर हैं और वही हमारा दिमाग भी हैं। वही इस ब्रह्मांड के रचयिता भी हैं और वही हमारी आत्मा भी हैं।     

1 comment:

संगीता पुरी said...

पूरे ब्रह्मांड के कण कण का आपस में एक दूसरे से संबंध है ..