परमहंस योगानंद जी की पुस्तक - आटोबायोग्राफी आफ अ
योगी (हिंदी में अनूदित पुस्तक का नाम- योगी कथामृत ) सचमुच एक अद्भुत
पुस्तक है। अपनी आत्मकथा के बहाने परमहंस जी ने विश्व के विशिष्ट साधु
संतों के बारे में विस्तार से लिखा है। यह पुस्तक पढ़ते हुए आप उसमें इस
तरह खो जाएंगे कि खाने- पीने और सोने की सुधि भी नहीं रहेगी। इसी पुस्तक
में क्रिया योग के बारे में बताया गया है। जो लोग क्रिया योग के बारे में
जानना चाहते हैं, उन्हें योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया का लेसन मेंबर
बनना होता है। योगी कथामृत में परमहंस योगानंद ने इसके बारे में जितना
बताया जा सकता है, बताया है। योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया की स्थापना
स्वयं परमहंस योगानंद जी ने सन १९१७ में की थी। तब से इस आध्यात्मिक संगठन
ने लाखों लोगों को क्रिया दीक्षा दी है। क्रिया योग के बारे में विस्तार से
नहीं लिखा जा सकता न ही बताया जा सकता है। इसे दीक्षा के माध्यम से
प्राप्त किया जाता है और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है क्योंकि
प्राचीन काल से ही यह धार्मिक निषेध चला आ रहा है जिसका पालन आवश्यक है।
क्यों? इसका जवाब आपको तभी मिल जाएगा, जब आप दीक्षा लेंगे।
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