Monday, May 27, 2013

भगवान पर विश्वास को लेकर सर्वे


एक बेहद अविश्वसनीय खबर पढ़ने को मिली। मुझे इस सर्वे पर शंका  हो रही है। आइए पहले खबर पढ़िए-

भारतीयों की धर्म में दिलचस्पी घट रही है. कई लोगों का भगवान में यक़ीन नहीं है और वो ख़ुद को धार्मिक नहीं मानते. हालांकि ख़ुद को पूरी तरह नास्तिक कहने वालों की तादाद में गिरावट आई है. ग्लोबल इंडेक्स ऑफ़ रिलीजियॉसिटी एंड अथीज़्म की ताज़ा रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है.


आपने खबर पढ़ी। जहां तक मुझे पता है भारत में धर्म में दिलचस्पी बढ़ी है। लोग योग और आध्यात्मिक गतिविधियों मे ज्यादा रुचि ले रहे हैं। आप पूछेंगे कि इसका प्रमाण क्या है? आप पिछले साल की तुलना में भारत के तमाम प्रसिद्ध मंदिरों में जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का पता लगा लीजिए। आपको पता चल जाएगा कि भारत में लोगों की धर्म में दिलचस्पी घट रही है या बढ़ रही है। मुझे पक्का यकीन है कि ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। अध्यात्म के प्रति, ध्यान (मेडिटेशन) के प्रति लोगों में उत्सुकता बढ़ रही है। आप सभी ध्यान केंद्रों, संस्थानों में जा कर पता लगाइए।
  भारत गांवों का देश है। आप गांवों में जाइए। वहां सर्वे कीजिए। मुझे नहीं पता ग्लोबल इंडेक्स ऑफ़ रिलीजियॉसिटी एंड अथीज़्म के लोग भारत के गांवों में गए थे या नहीं। लेकिन मुझे इस पर कतई विश्वास नहीं हो रहा है कि भारत के लोगों की भगवान में दिलचस्पी घट रही है। भाई, इस तरह का सर्वे आपने क्यों कराया? क्या आप नास्तिकता का झंडा गाड़ना चाहते हैं? आपको कैसे लगा कि भारत में भगवान को मानने वाले कम हो रहे हैं?  अब हम किसी भी सर्वे को आंख मूंद कर स्वीकार नहीं करेंगे। एक बार खबर आती है कि चाकलेट खाने वालों का स्वास्थ्य उत्तम रहता है। तो कुछ दिनों बाद खबर आती है कि चाकलेट में अमुक तत्व यह रोग बढ़ाता है। कभी खबर आती है कि काफी पीने से यह फायदा होता है तो कभी खबर आती है कि काफी पीने से यह नुकसान होता है। मुझे तो लगता है कि सर्वे कराने वाले खुद कनफ्यूज हैं। समग्र भारत के विचार अचानक किसी सर्वे में पता चल जाए, यह मुझे संभव नहीं लगता। बहरहाल मुझे अपने विचार रखने की पूरी आजादी है। और मैं किसी हालत मे इस सर्वे को मान नहीं सकता। पूरे भारत का  सर्वे इतना आसान नहीं है भाई।

Tuesday, May 21, 2013

30 सेकेंड में होगा मोबाइल चार्ज'

Courtesy- बीबीसी हिन्दी 
 अमरीका में रहने वाली भारतीय छात्रा ईशा खरे ने छोटे से आकार का एक ऐसा उपकरण बनाया है जो  मोबाइल फोन की बैटरी के अंदर फिट हो सकता है.
ईशा का दावा है कि इससे मोबाइल फोन 20-30 सेकेंड में पूरा चार्ज हो जाएगा और इसे कार की  बैटरी के लिए भी उपयोग में लाया जा सकेगा.
इसके लिए 18 वर्षीय ईशा खरे को 'इंटेल फाउंडेशन यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड' से नवाज़ा गया है और 50,000 डॉलर की स्कॉलरशिप भी दी गई है.
दुनिया की जानी-मानी कम्प्यूटर उपकरण बनाने वाली कंपनी, ‘इन्टेल’, हर साल विश्व के अलग-अलग स्कूलों से क़रीब 70 लाख बच्चों की प्रतियोगिता आयोजित करवाता है.
इनाम की घोषणा के बाद ईशा ने पत्रकारों से कहा, “मैंने तो इस उपकरण पर काम करना इसलिए शुरू किया क्योंकि मेरे मोबाइल फोन की बैटरी बहुत जल्दी ख़त्म हो जाती थी, लेकिन अब इस जीत पर यकीन करना भी मुश्किल हो रहा है.”
विजेताओं को अरिज़ोना के फीनिक्स शहर में एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया.

अब हारवर्ड की ओर

इन्टेल की प्रतियोगिता में बच्चे विज्ञान, तकनीक और गणित की दुनिया में शोध कर नए उपकरण इजाद करते हैं.
इस साल के प्रतियोगियों ने क्वांटम थ्योरी और पर्यावरण संरक्षण के तरीकों से लेकर बीमारियों के इलाज और तकनीकी उपकरण बनाने तक के प्रोजेक्ट्स पेश किए.
अपने प्रयोग में ईशा ने इस उपकरण से एक ‘एलईडी’ यानि ‘लाइट एमिटिंग डायोड’ चलाकर दिखाया. ईशा ने बताया कि उन्होंने नैनोटेकनॉलॉजी की मदद से बहुत सारी ऊर्जा अपने इस उपकरण में केन्द्रित करने की तकनीक विकसित की है जिससे चार्जिंग जैसा काम भी सेकेंड्स में हो सकता है.
फिलहाल कैलिफोर्निया के एक स्कूल में पढ़ रहीं ईशा इसी वर्ष हारवर्ड विश्वविद्यालय में नैनोकेमिस्ट्री की पढ़ाई करने जाएंगी.
लाखों छात्रों में से छांटे गए 1600 छात्रों में से चुने जाते हैं तीन विजेता जो 75,000 (पहला इनाम) और 50-50,000 डॉलर (दूसरा और तीसरा इनाम) में ले जाते हैं.
ईशा को दूसरा इनाम मिला तो पहला इनाम गया रोमानिया के 19 वर्षीय आयोनेट बुडिस्टीनो को, जिन्होंने एक सस्ती स्वचालित कार का मॉडल बनाया.

Friday, May 17, 2013

जैसे भक्त को भगवान मिल गए हों


मित्रों,  पिछले सोमवार को मैंने हुगली नदी में आए ज्वार को देखा। ज्वार उन्हीं नदियों में आता है जो  समुद्र के करीब हो और लगभग जु़ड़ी हुई हो।   हुगली समुद्र से जुड़ी हुई है। इसे ही उत्तर भारत में गंगा नदी कहते हैं। हुगली के किनारे लोग पूजा- पाठ, मुंडन और कथा आदि के अलावा पितरों को तर्पण आदि करते हैं। मैं  कोलकाता के पास बैरकपुर के धोबी घाट पर इंजन वाली नाव का इंतजार कर रहा था ताकि मैं उस पार श्रीरामपुर में अपने परमगुरु स्वामी श्री युक्तेश्वर जी (मेरे गुरु  परमहंस  योगानंद जी के गुरु) द्वारा स्थापित आश्रम में प्रणाम करने जा सकूं। आप जानते ही हैं कि परमहंस योगानंद जी की पुस्तक- आटोबायोग्राफी आफ अ योगी- विश्व की ३३ भाषाओं में अनूदित है और आज भी सर्वाधिक रोचक पुस्तकों में से एक है। हिंदी में इसका अनुवाद- योगी कथामृत- के नाम से हुआ है।
 जब मैं बैरकपुर के धोबीघाट पहुंचा तो मुझे बताया गया कि ज्वार आ रहा है, इसलिए इंजन वाली नाव का आना- जाना फिलहाल बंद कर दिया गया है। मुझे भी ज्वार देखने की उत्सुकता थी। लगभग २० मिनट बाद ज्वार आया। जीवन में पहली बार मैंने किसी नदी में ज्वार देखा। वैसे रामकृष्ण परमहंस पर लिखी उनके शिष्य श्री म की पुस्तक रामकृष्ण वचनामृत में बान (बांग्ला में ज्वार को बान कहते हैं) का जिक्र है। इसका हिंदी में अनुवाद किया है- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने।
तो ज्वार आया। भारी लहरों के साथ। लहरें छपाक से किनारे से टकरातीं। मानों नदी
के किनारे को मथ दिया। जैसे भक्त का मन भगवान के लिए मथ जाता है। जिसे गुरुदेव परमहंस योगानंद ने- चर्निंग द इथर कहा है। करीब पांच- सात मिनट के बाद ही ज्वार शांत हो गया। इंजन वाली नाव किनारे आ कर खड़ी हो गई। हम लोग पांच- सात मिनट में ही उस पार पहुंच गए और उस पवित्र स्थल और परमगुरुओं को प्रणाम किया जिसका वर्णन- आटोबायोग्राफी आफ अ योगी में भी है। लौटे तो हुगली नदी शांत थी। जैसे भक्त को भगवान मिल गए हों। वह पूर्ण तृप्त हो गया हो।

Friday, May 3, 2013

ईश्वर सर्वत्र व्याप्त हैं


मित्रों, हमारे जीवन में यूं तो अक्सर कोई न कोई घटना होती रहती है। अच्छी  भी और सामान्य भी। एक दिन असाधारण ढंग से भयानक बिजली कड़की। लगा कहीं बिजली गिरी। और मेरा कंप्यूटर इंटरनेट से डिसकनेक्ट हो गया। मैंने तकनीशियन को बुलाया। उसने बताया कि मेरा लैन कार्ड जल गया है। चूंकि कंप्यूटर एक आदत में शामिल हो गया है, इसलिए मैं लैन कार्ड तुरंत खरीद लाया और उसे लगाया। इंटरनेट फिर से कनेक्ट हो गया। जब मैं लैन कार्ड खरीद रहा था तो दुकानदार ने बताया कि जब भी बिजली कड़के तो आप इंटरनेट का तार सीपीयू से निकाल दिया कीजिए। मैंने पूछा कि क्या बिजली का प्लग निकाल देने से काम नहीं चलेगा? उसने कहा- नहीं सर। आसमान में कड़कती बिजली, तब भी आपके सीपीयू में घुस जाएगी और आपका मदर बोर्ड तक जला डालेगी। इसलिए आप इंटरनेट का ही प्लग निकाल दीजिए। झंझट खत्म हो जाएगा। मैं सोचने लगा कि क्या गजब है। आसमान में चमकती बिजली से हम किस तरह करीब से जुड़े हैं। उधर बिजली चमकी नहीं कि इंटरनेट से हमारा कनेक्शन खत्म। क्योंकि बिजली हमारे सीपीयू में घुस गई। ऋषियों ने कहा ही है-   यत पिंडे, तत ब्रह्मांडे।।  ईश्वर आखिर सर्वत्र व्याप्त हैं। वही कंप्यूटर हैं और वही हमारा दिमाग भी हैं। वही इस ब्रह्मांड के रचयिता भी हैं और वही हमारी आत्मा भी हैं।