मित्रों, काफी दिनों तक अपने ब्लाग से अलग रहा। लेकिन दुबारा यह अपने पास खींच ही लाया। इस बीच कई नए अनुभव प्राप्त हुए। उनकी चर्चा फिर कभी। आज भगवत गीता पढ़ रहा था। भगवान कृष्ण ने कितनी सुंदर बातें कहीं हैं इस पवित्र पुस्तक में। भगवान ने कहा है- मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता। कैसा भक्त? जो अनन्य भक्ति करता हो। यानी उसकी हर गतिविधि में भगवान का स्मरण हो। ईश्वर ही जिसके आधार हों, वह व्यक्ति कभी नष्ट नहीं होता। भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते हैं। पढ़ कर अच्छा लगा। एक औऱ प्रसंग है- भगवान कहते हैं कि जो सुख औऱ दुख में, सर्दी और गर्मी में, मान और अपमान में सम हो वह मेरा अत्यंत प्रिय है। जो भय, घृणा या कामना से रहित हो गया हो वह मेरा अत्यंत प्रिय है। भगवत गीता तो हमें रोज ही पढ़नी चाहिए।
Saturday, September 7, 2013
जीवन की गति न्यारी
मित्रों, काफी दिनों तक अपने ब्लाग से अलग रहा। लेकिन दुबारा यह अपने पास खींच ही लाया। इस बीच कई नए अनुभव प्राप्त हुए। उनकी चर्चा फिर कभी। आज भगवत गीता पढ़ रहा था। भगवान कृष्ण ने कितनी सुंदर बातें कहीं हैं इस पवित्र पुस्तक में। भगवान ने कहा है- मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता। कैसा भक्त? जो अनन्य भक्ति करता हो। यानी उसकी हर गतिविधि में भगवान का स्मरण हो। ईश्वर ही जिसके आधार हों, वह व्यक्ति कभी नष्ट नहीं होता। भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते हैं। पढ़ कर अच्छा लगा। एक औऱ प्रसंग है- भगवान कहते हैं कि जो सुख औऱ दुख में, सर्दी और गर्मी में, मान और अपमान में सम हो वह मेरा अत्यंत प्रिय है। जो भय, घृणा या कामना से रहित हो गया हो वह मेरा अत्यंत प्रिय है। भगवत गीता तो हमें रोज ही पढ़नी चाहिए।
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