Tuesday, July 2, 2013

संगीत का ककहरा


मित्रों, पिछले दिनों एक बहन ने अपने घर ले जाकर मुझे हारमोनियम बजाने की शिक्षा दी। अभी तो बस एक ही दिन शिक्षा ली है। लेकिन यह अचानक हुआ। उस बहन ने खुद आ कर मुझसे कहा कि चलिए मैं आपकों हारमोनियम सिखा देती हूं। ईश्वर की असीम अनुकंपा। उस बहन का नाम है- पिऊ घोष भौमिक। पहले दिन मैंने सा रे ग म प ध नी सा का अभ्यास किया। हारमोनियम के स्ट्रिंग्स पर हाथ आजमाया। मैंने पाया कि सा रे ग म  इत्यादि गाते वक्त जो संतुलन चाहिए वह मुझमें नहीं था। लेकिन सिखाने वाली बहन ने मुझे वह संतुलन सिखा दिया। तब लगा कि यह तो एक और क्षेत्र है जिसके बारे मैं बिल्कुल नहीं जानता था। एक नया संसार।  ठीक इसी तरह जीवन में भी एक सकारात्मक लय की जरूरत है। वह लय तभी आ सकती है जब ईश्वर के प्रति उत्सुकता हो। ईश्वर, ईश्वर औऱ ईश्वर।

1 comment:

Rajesh Tripathi said...

विनय भाई, आपको सुरीली बधाई। आपके बहुआयामी व्यक्तित्व में सुरीला पक्ष जुड़ा, मुदमय,सरस लगा। उस बहन को धन्यवाद जिसने एक कलाकार को परखा और उसे एक सुरीली दिशा दी। पूरा विश्वास है कि आप इस क्षेत्र में भी सफलता अवश्य अर्जित करेंगे। आपका सबसे बड़ा पक्ष यह है कि आप ईश्वर के सच्चे बंदे हैं और ईश्वर अपने बंदों की सदा सहायता करते हैं। आपको इस नये अध्याय के लिए ढेरों बधाइयां। जीवन में यह सरगम निरंतर प्रवहमान और समृद्ध होती रहे, यही कामना है।-राजेश त्रिपाठी