आपने सोचा और वो उड़ा हेलिकॉप्टर...
COURTESY- BBC Hindi
ये हेलिकॉप्टर इंसान के दिमाग से आने वाली कमांड पर चलेगा
शोधकर्ताओं ने सोच की शक्ति का ऐसा इस्तेमाल कर दिखाया है कि हेलिकॉप्टर के नियंत्रण के लिए मस्तिष्क का इस्तेमाल
रिमोट-कंट्रोल के तौर पर किया जा सकेगा.
दुनिया भर में शोधकर्ता सोच की शक्ति को
इलेक्ट्रिक सिग्नल में बदलने की कोशिश में लगे हैं और इस आविष्कार के साथ
उन कोशिशों में एक नया अध्याय जुड़ गया है.काल्पनिक और वास्तविक दुनिया के बीच अब एक नायाब रिश्ता जुड़ गया है, जिसके बारे में कुछ वर्षों पहले सोचा भी नहीं जा सकता था. इस आविष्कार का मकसद है मानसिक रूप से कमज़ोर लोगों की मदद करना और साथ ही वीडियो गेम खेलने के नायाब तरीके इजाद करना.
इस शोध में दिमाग की विद्युत किरणों को कैद किया गया.
हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि ये उपकरण खुद-ब-खुद ही जान सकता है कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है.
बल्कि इसके लिए एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को तैयार किया जाता है जिसे दिमाग की विद्युत किरणों का स्वरूप पढ़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.
इस उपकरण की मदद से इंसान के दिमाग में चल रही सोच को हेलिकॉप्टर के साथ जोड़ा जाता है.
दिमागी कंट्रोल
"हमारा मकसद है उन लोगों की या मरीज़ों की मदद करना जो चल-फिर नहीं पाते हैं. इस तकनीक के ज़रिए हम व्हीलचेयर को कंट्रोल करना चाहते हैं, टीवी को नियंत्रित करना चाहते हैं और साथ ही अगर हो सके तो शरीर के किसी कृत्रिम अंग का संचालन भी इस तकनीक के ज़रिए करना चाहते हैं ---- "प्रॉफेसर बिन हे, मुख्य आविष्कारक
इससे पहले ऐसी तकनीक का इस्तेमाल व्हीलचेयर को चलाने और ‘दिमागी ऑरकेस्ट्रा’ चलाने के लिए भी हो चुका है.
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इस शोध में दिमाग की विद्युत किरणों को कैद किया गया है
खबरों के मुताबिक सैमसंग भी ‘ दिमागी कंट्रोल’ तकनीक का इस्तेमाल करने वाली एक टैबलेट डिवाइस पर काम कर रहा है.
अब जब शोधकर्ता दिमाग के भीतर तक तकनीक का इस्तेमाल कर पहुंच सकते हैं, तो अब वे अपना ध्यान और ज़्यादा सूक्ष्म विषयों पर केंद्रित कर सकते हैं.
इस शोध के वरिष्ठ आविष्कारक बिन हे का कहना है कि उनकी टीम इस प्रयोग पर काफी समय से काम कर रही थी.
प्रॉफेसर बिन हे ने बीबीसी को बताया, “हमारा मकसद है उन लोगों की या मरीज़ों की मदद करना जो चल-फिर नहीं पाते हैं. इस तकनीक के ज़रिए हम व्हीलचेयर को कंट्रोल करना चाहते हैं, टीवी को नियंत्रित करना चाहते हैं और साथ ही अगर हो सके तो शरीर के किसी कृत्रिम अंग का संचालन भी इस तकनीक के ज़रिए करना चाहते हैं.”
इस प्रयोग के लिए पांच लोगों को चुना गया और उन्हें एक साधारण टोपी पहनाई गई जिसमें 64 इलेक्ट्रोड लगे थे.
इन इलेक्ट्रोड्स के ज़रिए कंप्यूटर को दिमाग में होने वाली हलचल के बारे में बताया जाता है, और फिर वाई-फाई की मदद से कंप्यूटर कमांड देता है जिससे हेलिकॉप्टर चलता है.
इंसान की दिमागी कमांड का पालन करते हुए ये हेलिकॉप्टर अपने सामने आने वाली रुकावटों को भी झांसा दे सकता है. इसके अलावा इस तकनीक का इस्तेमाल घर में रोबोट के संचालन के लिए भी हो सकता है.