Monday, October 4, 2010

बिच्छू के डंक मारने की कथा

विनय बिहारी सिंह


हम सबने यह कहानी सुनी है कि एक साधु नदी में नहा रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक बिच्छू डूब रहा है। उन्होंने तत्काल उसे अपनी हथेली पर उठाया। लेकिन तभी बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया। दर्द के बारे बिच्छू उनके हाथ से छूट गया और फिर नदी में डूबने लगा। उन्होंने फिर उठाया, बिच्छू ने फिर डंक मारा। यह प्रक्रिया जब कई बार हो गई तो वहां खड़े एक शिकारी ने साधु से कहा- क्यों उठा रहे हैं बिच्छू को आप बार- बार? कई बार तो उसने आपको काट लिया। साधु हंसे और बोले- बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना और साधु का स्वभाव है करुणा। वह अपना काम कर रहा है और मैं अपना। तब साधु ने बिच्छू को नदी में बह रहे एक बड़े पत्ते पर उठाया और किनारे पर ले जाकर रख दिया। एक सन्यासी ने कल इस कथा पर कहा- इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें दुष्ट लोगों से व्याकुल नहीं होना चाहिए। दुष्ट लोगों का काम है कष्ट देना। हमें शांति से उनसे दूर होने का उपाय करना चाहिए। मन में कष्टों को न पालें। चाहे वे शारीरिक कष्ट हों या मानसिक। हमेशा प्रभु की याद करते रहें। दिन में बीच बीच में मन में कहते रहें- प्रभु आप ही मेरे मालिक हैं। आप ही माता, पिता और सुहृद हैं। मेरा उद्धार कीजिए। मैं आपसे प्रेम करता हूं। लेकिन यह बात दिल से कही जानी चाहिए। आपका जीवन सुखमय होगा। सन्यासी की बात को सबने माना। दुष्ट जीव हो या दुष्ट मनुष्य उसका काम ही है डंक मारना। लेकिन हम इसके कारण अपनी शांति क्यों भंग करें। हमारा काम है चिंता मुक्त रह कर भगवान को याद करना। उनके नाम का हृदय से जप करना, भजन, भगवान का चिंतन, भगवान के बारे में शास्त्रों में जो लिखा गया है, उस पर मनन करना। इससे आपका कल्याण होगा।

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