विनय बिहारी सिंह
कई बार हम भगवान को मन ही मन सुझाव देने लगते हैं कि वे ऐसा करें, वैसा करें। यह मनुष्य का बचपना है। भगवान तो सर्वशक्तिमान और सर्व ग्याता और सर्वव्यापी हैं। उन्हें यह बताने की क्या जरूरत है कि वे क्या करें? वे चाहे जो करेंगे, होगा तो हमारा ही फायदा। वे माता- पिता हैं। सखा हैं। उनसे बढ़ कर हमारा है ही कौन? भगवान क्या करेंगे, यह हमारे हाथ में नहीं है। हमारी क्षमता भी नहीं है कि हम उन्हें सुझाव दे सकें। हमारे हाथ में सिर्फ प्रार्थना है, जप है, ध्यान या धारणा है। बाकी सब उनके हाथ में है। हम सिर्फ भक्ति कर सकते हैं। हम अगर भक्त की सही भूमिका निभाएंगे तो भगवान अपनी भूमिका स्वतः निभाएंगे। उन्हें कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है। वे तो पूरे ब्रह्मांड के मालिक हैं। वे एक-एक जीव के अंतःकरण से अच्छी तरह परिचित हैं। इसलिए हमें भगवान को राय देनी बंद करनी चाहिए। हमें यह नहीं कहना चाहिए कि हे भगवान हमारा यह काम अटका पड़ा है, इसे इस तरीके से कीजिए। वे आपका काम करेंगे, लेकिन अपने तरीके से। आप कौन होते हैं उन्हें तरीका बताने वाले? वे सब जानते हैं। आपका भला जिसमें होगा, वे वही करेंगे। इसलिए सिर्फ भक्ति करना ही हमारे हाथ में है। बाकी सब भगवान के हाथ में है। वे जैसा चाहे करें। हर हाल में वे हमारा भला ही करेंगे।
 
 
 
1 comment:
सत्य वचन्।
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