tag:blogger.com,1999:blog-2446493380000559684.post7784291511516153609..comments2023-10-29T01:37:32.219-07:00Comments on divya prakash: कबीरदास के दोहेAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/08160854592562131489noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2446493380000559684.post-71336267854288752132011-06-11T13:35:06.412-07:002011-06-11T13:35:06.412-07:00सुन्दगर
http://navkislaya.blogspot.com/सुन्दगर <br /><br />http://navkislaya.blogspot.com/Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2446493380000559684.post-83244566278709990362011-06-10T05:03:29.879-07:002011-06-10T05:03:29.879-07:00संत कबीर का संदेश आप जन-कल्याण हेतु प्रस्तुत कर रह...संत कबीर का संदेश आप जन-कल्याण हेतु प्रस्तुत कर रहे हैं -मेरा साधुवाद स्वीकार करें !<br />एक है निवेदन -यह सही है कि कबीर ने यहाँ 'दोहा' नामक छंद का प्रयोग किया है .लेकिन इन्हें तभी से 'साखी ' नाम से प्रचलित किया गया था ,जिसका तात्पर्य है -जिस सत्य का साक्षात्कार किया गया .उनकी रचनाएँ तीन रूपों में हैं ,साखी (साक्षी),सबदी(पद,जिन्हें बाद के संतो ने सबद के रूप में स्वीकारा और गुरु ग्रंथ साहब के 'सबद'उन्हीं का संचित रूप हैं )और रमैनी (दोहा और चौपाइयों में ,जिस शैली में बाद में तुलसी ने रामचरितमानस की रचना की ).<br />यदि आप अन्यथा न समझें तो इन्हें 'साखी '(कबीर के अनुसार)साखी भी कह सकते हैं .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2446493380000559684.post-24807272769613816432011-06-10T04:16:08.058-07:002011-06-10T04:16:08.058-07:00great article!
Swachchh Sandeshgreat article!<br /><br /><a href="http://swachchhsandesh.blogspot.com/" rel="nofollow">Swachchh Sandesh</a>Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2446493380000559684.post-75282016594706783932011-06-10T03:20:57.122-07:002011-06-10T03:20:57.122-07:00बहुत सुन्दर दोहे प्रस्तुत किये…………आभार्।बहुत सुन्दर दोहे प्रस्तुत किये…………आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com